दिल्ली

भाजपा शास्त्री नगर क्या तोड़ पाएगी आप का किला,भाजपा के लिए इंद्रलोक सबसे बड़ी चुनौती

भाजपा शास्त्री नगर क्या तोड़ पाएगी आप का किला,भाजपा के लिए इंद्रलोक सबसे बड़ी चुनौती
– आप की निगम पार्षदा बबिता शर्मा के पास गिनाने को कई काम,भाजपा करेगी मुद्दों को तलाश
– योगेश भारद्वाज
दिल्ली : एमसीडी चुनावों की तिथि घोषित होने के बाद अब नामांकन करने के लिए महज 7 दिन बाकी है। जिसमे अभी भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के नाम तय नही हुए है। जबकि आम आदमी पार्टी की जीती हुई निगम पार्षदा बबिता शर्मा की यह टिकिट पक्की मानी जा रही है। उन्होंने इसके लिए अब अपना तूफानी प्रचार प्रसार शुरू भी कर दिया है।
गौरतलब है कि आप की निगम पार्षदा बबिता शर्मा और यहाँ सदर विधायक सोमदत्त दोनो ही आम आदमी पार्टी के है। इस नाते पिछले 5 सालों में शास्त्री नगर वार्ड को काफी फायदा मिला है। जिसके चलते भले ही अन्य वार्डो में विकास कार्य ना हो पाए हो। लेकिन शास्त्री नगर वार्ड में एक ही पार्टी के पार्षद और विधायक होने से शास्त्री नगर वार्ड को काफ़ी फायदा मिला है। जिसमे सबसे महत्वपूर्ण कड़ी यह रही कि जिन तीन खत्तों का पिछले 30 सालों में किसी भी पार्टी के पार्षद नही निदान नही कर पाए। वो इन 5 सालों में आप की निगम पार्षदा बबिता शर्मा ने कर दिखया। इसलिए वार्ड में निगम पार्षदा बबिता शर्मा के पास गिनाने को कई काम है। और वो अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर जनता के बीच जा भी रही है। वही दूसरी और भाजपा शास्त्री नगर के पास आप की निगम पार्षदा के खिलाफ मुद्दे तलाशने होंगे। नही तो आप का शास्त्री नगर में से किला भेद पाना भाजपा के लिए मुश्किल हो जाएगा।
भाजपा का मजबूत उम्मीदवार ही कर पायेगा मुकाबला..
अब शास्त्री नगर में जहाँ परिसीमन के बाद लगभग 15 हज़ार वोट मुस्लिम समुदाय के जुड़ गए हो तो ऐसे में भाजपा के सामने इस वार्ड में चुनौती बहुत बड़ी होगी। अब यहाँ भाजपा को मुकाबला बनाना है। तो अब उसे यही के किसी मजबूत भाजपाई को ही मैदान में उतारना होगा। बाहरी उम्मीदवार का दांव भाजपा पहले भी खेल चुकी है। जिसमे भाजपा के हाथ सिर्फ असफलता ही लगी है। इस बार यदि मुकाबला करना है तो भाजपा को फूंक फूंक कर कदम रखने होंगे।
निर्दलीय इस बार भी बिगाड़ सकता है भाजपा का खेल…
2017 में निर्दलीय प्रत्याशी लता जिंदल ने भाजपा का खेल बिगाड़ दिया था। इस बार भी यही उम्मीद व्यक्त की जा रही है। हालाकि उस वक्त भले ही निर्दलीय प्रत्याशी को कुछ वोट ज्यादा आये हो। लेकिन इस बार यह आंकड़ा दो हज़ार वोट पर ही सिमट जाएगा। क्योंकि निर्दलीय के चुनाव में हमेशा इतिहास रहा है कि काठ की हाड़ी बार बार नही चडती।

सिर्फ राशन,बैग, रोटी खिलाने के बदले चुनाव नही जीते जाते..
दूसरी बात इस बार कोरोना काल मे राशन,बैग, रोटी खिलाने के नाम पर कुछ लोग वोट मांगेंगे। लेकिन यदि राशन,बैग और और रोटी खिलाने के नाम पर चुनाव जीते जाते तो शायद इससे बड़ा धोखा कुछ हो ही नही सकता। क्योकि इसको समाजसेवा कहकर किया गया था। ना कि चुनाव में वोट सेवा कहकर।

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