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हिन्दू हृदय सम्राट कल्याण सिंह का निधन, एक बोल्ड एडमिनिस्ट्रेटर थे कल्याण,अलीगढ में शोक की लहर

हिन्दू हृदय सम्राट कल्याण सिंह का निधन, एक बोल्ड एडमिनिस्ट्रेटर थे कल्याण,अलीगढ में शोक की लहर
योगेश भारद्वाज
नई दिल्ली/अलीगढ : आज 9 बजे एक हिन्दू हृदय सम्राट कहे जाने वाले कुशल राजनेता (Kalyan Singh passed away) का निधन हो गया। बाबरी मस्जिद विध्वंस में अपनी सरकार की बलि देने वाले कल्याण सिंह उन नेतायों में से थे जिनको बोल्ड एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में भी जाना जाता था। उस समय सिर्फ दो ही नाम राजनीती में दो ही नाम सबसे ज्यादा चलते थे एक पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी और दूसरा कल्याण सिंह। लेकिन आज दूसरे हिन्दू हृदय सम्राट कहे जाने वाले नेता का भी निधन हो गया।
लंबे समय से बीमार चल रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह का शनिवार को निधन हो गया। बीते दो दिनों से कल्याण सिंह की तबीयत काफी नाजुक बनी हुई थी। अलग-अलग विभागों के विभागाध्यक्ष लगातार उनकी निगरानी रख रहे थे। अस्पताल में पूर्व मुख्यमंत्री के परिवारजन भी मौजूद थे।

अलीगढ़ में हुआ था जन्म
कल्याण सिंह का जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम तेजपाल लोधी और माता का नाम सीता देवी था। कल्याण सिंह 2 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और कई बार अतरौली के विधानसभा सदस्य के रूप में चुने गए। साथ ही साथ ये उत्तर प्रदेश में लोक सभा सांसद और राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। कल्याण सिंह वर्ष 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और दूसरी बार 1997 में मुख्यमंत्री बने थे। ये प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक चेहरों में एक इसलिए माने जाते हैं, क्‍योंक‍ि इनके पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही बाबरी मस्जिद की घटना घटी थी।

1. नकल अध्यादेश
नकल अध्‍यादेश के दम पर वो गुड गवर्नेंस की बात करते थे। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे और राजनाथ सिंह शिक्षा मंत्री। बोर्ड परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाने वालों को जेल भेजने के इस कानून ने कल्याण को बोल्ड एडमिनिस्ट्रेटर बना दिया। यूपी में किताब रख के चीटिंग करने वालों के लिए ये काल बन गया।

2. बाबरी मस्जिद विध्वंस
ये हिंदू समूहों का ड्रीम जॉब था। इसके लिए 425 में 221 सीटें लेकर आने वाली कल्याण सिंह सरकार ने अपनी कुर्बानी दे दी। हिंदू हृदय सम्राट बनने के लिए सरकार तो गई पर संघ की आइडियॉलजी पर कल्याण खरे उतरे थे। रुतबा भी उसी हिसाब से बढ़ा था। दो ही नाम थे उस वक्त- केंद्र में अटल बिहारी और यूपी में कल्याण सिंह।

पहली बार 1967 में जीत का परचम लहराया
कल्याण सिंह ने पहली बार अतरौली विधान सभा इलाके से 1967 में चुनाव जीता और लगातार 1980 तक विधायक रहे। 1980 के विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह को कांग्रेस के टिकट पर अनवर खां ने पहली बार पराजित किया। लेकिन बीजेपी के टिकट पर कल्याण सिंह ने 1985 के विधानसभा चुनाव में फिर कामयाबी हासिल की। तब से लेकर 2004 के विधानसभा चुनाव तक कल्याण सिंह अतरौली से विधायक रहे।

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