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जनता के अधिकारों का हनन है बार बार चुनाव टालना

जनता के अधिकारों का हनन है बार बार चुनाव टालना
– योगेश भारद्वाज
नई दिल्ली : नगर निगम चुनाव एक ऐसा चुनाव होता है। जहाँ से विधायक और सांसद चुनावों की तस्वीर नज़र आने लगती है। और यही चुनाव ऐसा चुनाव होता है जिस पर सरकार का पूरी मनमानी चल जाती है। हालांकि यूं तो चुनाव आयोग एक स्वतंत्र निकाय होता है। लेकिन ये स्वतंत्र नाम मात्र का होता है। क्योंकि चुनावों की घोषणाओं से लेकर उसके क्रियान्वयन तक सब के लिए यह सरकार का ही मुँह ताकता है। जनता के लिए भले ही यह चुनाव आयोग हो लेकिन वश इस पर सरकार का ही होता है। अभी दिल्ली नगर निगम चुनावों को लेकर इसी चुनाव आयोग की दयनीय स्थिति पूरा देश देख रहा है। कि कैसे सत्ताधारी पार्टियों के इशारों पर इसकी क्या हालत हो गयी है। पहले तो तय चुनावों के वक्त निगम को एक करने के नाम पर चुनाव टाल दिए गए। और उसके बाद जब चुनावों को ना कराने को लेकर कोई बहाना नही बचा तो अब कांग्रेस ने फूले हुए ग़ुब्बारे में कोर्ट की पिन मार दी। जब किसी देश मे किसी काम को कराने के लिए स्वतंत्र निकाय की स्थापना की जाती है। तो ऐसे में उसके फैसलों को बार बार किसी ना किसी बहाने से रोकना सिर्फ जनता के अधिकारों का ही हनन माना जा सकता है। आखिर भाजपा और कांग्रेस को इन चुनावों से क्या डर है? वो क्यो बार बार तरह तरह के बहानो से इन चुनावों को टालना चाह रही है? बरहाल इस तरह से भाजपा और कांग्रेस भले ही ये सोच रही हो कि वो इस चुनाव को टाल कर जीत हासिल कर पाएंगे यह उनकी भूल साबित हो सकती है। क्योंकि इस तरह के फैसलों से जनता बार बार सोचने को मजबूर हो रही है कि आखिर इन दो पार्टियों को इन चुनावों को तय वक्त पर कराने से परेशानी क्या है। हालांकि चुनावों में जीत हार सिर्फ जनता के फैसलों पर टिकी हो तो ऐसे में चुनाव टाल कर माहौल बदला जा सके ये शायद संभव नही है। इसके दो कारण है या तो अन्य पार्टियों कांग्रेस भाजपा को लग गया है है कि यह चुनाव केजरीवाल के पक्ष में जा रहा है। या फिर इन दो पार्टियों को जनादेश पर भरोसा नही है।
बरहाल इस मामले को लेकर दिल्ली में MCD चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने पहले भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। AAP ने गुजारिश की है कि तय वक्त पर MCD चुनाव कराए जाएं। बता दें कि प्रदेश चुनाव आयोग ने बीते दिनों MCD elections की तारीखों का ऐलान टाल दिया था। इसके पीछे केंद्र सरकार के पत्र को वजह बताया गया था. इसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार तीनों MCD को एक करना चाहती है।
सुप्रीम कोर्ट में AAP ने कहा है कि चुनावों को तय वक्त पर कराया जाना चाहिए और चुनाव का शेड्यूल केंद्र से हुई बातचीत की वजह से टाला नहीं जाना चाहिए। AAP ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो तीनों MCD को एक करने की संभावना पर अनौपचारिक बातचीत की है उसका असर चुनावी शेड्यूल पर नहीं पड़ना चाहिए । लेकिन जब यह सब हो गया तो उसके बाद अब कांग्रेस ने इसमे रोड़े अटका दिए कांग्रेस इन चुनावों में किये गए परिसीमन के खिलाफ कोर्ट पहुँच गयी। और अब एक बार फिर इन चुनावों पर ग्रहण लगता नज़र आ रहा है। अब यदि यह मामला कोर्ट में चलेगा तो यह चुनाव अगले बरस फरवरी में ही होने की उम्मीदें है। लेकिन इस तरह से दिल्ली की जनता के वोट के अधिकारों को खेल बनाना गले नही उतर रहा कि आखिर फिर चुनाव आयोग की भूमिका ही क्या है । कि जब सब कुछ उसे सरकार के अनुसार ही करना पड़ रहा है।

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