SHO पर सब-इंस्पेक्टर ने लगाया पैसे मांगने का आरोप। DCP ने चुप्पी साधी।
इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली के कोटला मुबारक पुर थाने के एसएचओ पर उसके मातहत सब-इंस्पेक्टर ने ही भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
कथित एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसएचओ विनय त्यागी के खिलाफ सब-इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह ने बकायदा रोजनामचे में आपबीती को दर्ज किया है।
जितेंद्र सिंह का 26 नवंबर को ही दक्षिण जिला पुलिस लाइन से कोटला मुबारक पुर थाने में तबादला किया गया था।
SHO ने पैसे मांगे-
जितेंद्र सिंह द्वारा रोजनामचे में लिखा गया है कि वह डयूटी के सिलसिले में एसएचओ विनय त्यागी से पहली बार मिला, तो उन्होंने उससे पैसों की मांग की। उसने एसएचओ से कहा कि वह पैसे देने की स्थिति में नहीं है।
जितेंद्र सिंह के अनुसार इसके बाद वह चिट्ठा मुंशी एएसआई सुभाष से अपनी डयूटी के बारे में मिला, तो उसने भी पसंद की डयूटी लगाने की एवज में पैसों की मांग की। उसने उसे भी पैसे देने में असमर्थता व्यक्त कर दी।
पैसे नहीं देगा, तो रेस्ट भी नहीं मिलेगा –
27 नवंबर को उसकी त्यागराज स्टेडियम में सुरक्षा इंतजाम में डयूटी लगा दी गई। डयूटी के बाद रेस्ट के लिए उसने चिट्ठा मुंशी से कहा तो उसने उसके साथ बदतमीजी से बात की।
जितेंद्र का आरोप है कि उसने एसएचओ से फोन पर बात की, तो उसने उसके साथ बदतमीजी से बात की और कहा कि ” जब तक पैसे की मांग पूरी नहीं करता, तुझे कोई रेस्ट नहीं मिलेगा”। एसएचओ ने कहा कि “मैं तुझे नौकरी करना सिखा दूंगा”।
चिट्ठा मुंशी पैसे एकत्र करता है।-
जितेंद्र के अनुसार 27 नवंबर से बिना रेस्ट दिए लगातार उससे इंतजाम, पिकेट और इमरजेंसी आदि डयूटी कराई जा रही है। एसएचओ की ओर से एएसआई सुभाष भी उसे बार बार पैसे के लिए परेशान कर रहा है।
एएसआई सुभाष के नाम बीट /डिवीजन भी है लेकिन उसका काम एसएचओ के लिए पैसा एकत्र करने का है।
एसीपी को बताया-
जितेंद्र के मुताबिक़ उसने अपने एसीपी (डिफेंस कालोनी) को यह सारी बात बताई थी।
जितेंद्र ने 5 दिसंबर को सुबह थाने के रोजनामचे (जनरल डायरी) में यह सब दर्ज कर दिया। जितेंद्र ने यह भी लिखा है कि इस वजह से वह सदमे और मानसिक तनाव में है।
DCP की चुप्पी-
इस बारे में मीडिया द्वारा बार बार पूछने पर भी
दक्षिण जिला की डीसीपी बेनीता मैरी जयकर ने इस मामले में चुप्पी साध ली। इससे साफ जाहिर होता है कि सब-इंस्पेक्टर के आरोपों में दम है।
अब देखना है कि पुलिस कमिश्नर एसएचओ के खिलाफ कब कार्रवाई करेंगे।
भ्रष्टाचार कैसे रुकेगा?
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने पुलिस अफसरों/ कर्मियों के खिलाफ बिना नाम पते यानी गुमनाम शिकायतों पर कार्रवाई न करने का आदेश दिया है।
पुलिस कमिश्नर द्वारा 27 अक्टूबर को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि जिस शिकायत पर नाम पता न हो यानी गुमनाम हो। नाम पता हो लेकिन वह वैरीफाई न हो। शिकायतकर्ता नोटिस दिए जाने के बाद भी जांच में शामिल न हो। शिकायत में अनर्गल आरोप हो तो उस पर कार्रवाई न की जाए।
कमिश्नर ने केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा इस सिलसिले में जारी आदेश का इस सर्कुलर में हवाला दिया है।
भ्रष्टाचार ऐसे रुकेगा-
सच्चाई यह है कि लोग डर के मारे अपने नाम से भ्रष्टाचार की शिकायत नहीं करते हैं।
शिकायत गुमनाम है या शिकायतकर्ता का नाम फर्जी है इस चक्कर में न पड़ कर
पुलिस अफसरों को गुमनाम शिकायत में लगाए गए आरोपों/ तथ्यों की सत्यता का पता लगाना चाहिए और उसके आधार पर कार्रवाई करनी चाहिए।
गुमनाम शिकायत पर कार्रवाई न करने से तो भ्रष्टाचार करने वाले बेखौफ हो जाते। गुमनाम शिकायत के आधार पर कार्रवाई किए जाने से ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकता है और भ्रष्टाचारी डरेंगे।
उल्लेखनीय है कि डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम द्वारा डेरे में लड़कियों से बलात्कार का मामला गुमनाम शिकायत के कारण ही उजागर हुआ था। जिसके परिणाम स्वरूप राम रहीम जेल में सजा भुगत रहा है।
(लेखक टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप में वरिष्ठ अपराध संवाददाता रहे हैं)