कश्मीर में आईएएस,डीएम ने अवैध तरीके से बना दिए बंदूक के लाखों लाइसेंस।
इंद्र वशिष्ठ
जम्मू कश्मीर में आईएएस,डीएम,एडीएम ने बंदूकों के करीब तीन लाख लाइसेंस अवैध तरीक़े से बना दिए। इन अफसरों ने ऐसे लोगों के भी बंदूक के लाइसेंस बना दिए जो दूसरे राज्यों के निवासी हैं।
सीबीआई के प्रवक्ता आर सी जोशी ने बताया कि बंदूक लाइसेंस मामले में जारी जांच के दौरान शनिवार को जम्मू ,श्रीनगर, उधमपुर, रजौरी, अनंतनाग, बारामूला, दिल्ली समेत 40 स्थानों पर छापेमारी की गई। लाइसेंस बनाने वाले आईएएस, केएएस अफसरों, तत्कालीन डीएम, एडीएम और बीस हथियार विक्रेताओं के घर और दफ्तरों में यह छापेमारी की गई।
तीन लाख लाइसेंस अवैध –
सीबीआई ने जम्मू कश्मीर सरकार के अनुरोध पर दो मामले दर्ज किए थे। बड़े पैमाने पर बंदूक लाइसेंस जारी करने के मामले में जम्मू और कश्मीर के सतर्कता संगठन के थानों में साल 2018 में दर्ज किए गए दो मामलों की जांच सीबीआई ने अपने हाथों में ली थी।
आरोप है कि साल 2012 से 2016 के दौरान दो लाख अठहत्तर हजार से ज्यादा बंदूक के लाइसेंस गैरकानूनी तरीके से बनाए गए।
सीबीआई को जांच के दौरान मिले दस्तावेजों से पता चला कि जम्मू और कश्मीर के 22 जिलों में अवैध तरीके से बंदूकों के यह लाइसेंस बनाए गए हैं।
सीबीआई ने दस्तावेजों की छानबीन और जांच के दौरान पाया कि संबंधित जिलों के तत्कालीन डीएम, एडीएम समेत अन्य अफसरों और हथियार विक्रेताओं की सांठगांठ से अयोग्य ल़ोगों के भी लाइसेंस बना दिए गए। ऐसे लोगों ने लाइसेंस बनवाने के लिए अपने निवास का जो पता दिया था उस पर वह रहते ही नहीं थे।
सीबीआई ने जिन अफसरों के यहां छापेमारी की उनमें कठुआ, रियासी और उधमपुर के तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट आईएएस शाहिद इकबाल चौधरी और नीरज कुमार भी शामिल है। कश्मीर कैडर के शाहिद और नीरज आईएएस के क्रमशः 2009 और 2010 बैच के अफसर हैंं।
जम्मू कश्मीर में पांच साल की अवधि के दौरान बंदूक के कुल करीब साढ़े चार लाख लाइसेंस बनाए गए थे।
सीबीआई ने इस मामले में पिछले साल कुपवाडा के तत्कालीन डीएम आईएएस राजीव रंजन और आईएएस इतरत हुसैन रफीकी को गिरफ्तार किया था।
राजस्थान में पकड़़ा गया गिरोह-
कश्मीर से अवैध तरीक़े से बंदूक लाइसेंस बनाने वाले गिरोह को साल 2017 अक्टूबर में राजस्थान एटीएस ने गिरफ्तार किया था। इस मामले में आईएएस राजीव रंजन के भाई ज्योति रंजन समेत पचास से ज्यादा अभियुक्तों को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार किया था। ज्योति रंजन इस गिरोह से पैसे लेकर अपने भाई से लाइसेंस बनवाता। राजस्थान पुलिस ने उसी समय इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।