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पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ खुलासा, चोट के संक्रमण फैलाने के कारण हुई थी किंतन कि मृत्यु

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ खुलासा, चोट के संक्रमण फैलाने के कारण हुई थी किंतन कि मृत्यु
– पुलिस ने दर्ज की धारा 304 में FIR
दिल्ली : वार्ड 70 शास्त्री नगर में पिछले कई दिनों से ललिता ब्लॉक स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे किंतन की मृत्यु पर यहाँ कोहराम मच गया था। स्वभाविक था कि एक माँ की गोद से उसका बच्चा चला गया। बाप का सपना टूट गया था। लेकिन बच्चे की इस मृत्यु को हत्या बताया गया था। आरोप था कि बच्चे की मौत स्कूल में पढ़ने वाले और बच्चों की पिटाई के कारण हुई थी? इसको लेकर बाकायदा बच्चे की मौत पर यहाँ के निगम पार्षद जिन्दल ने केंडिल मार्च निकलवा दिया और स्कूल में 40 कैमरे की मांग तक कर दी। जबकि स्कूल में कैमरे लगें है। लेकिन खुद शास्त्री नगर के गड्ढे तक नही भरवा पाए। लेकिन स्कूल में 40 कैमरे चाहिए पार्षद को। सड़कों के गड्डों में गिरकर जो लोग घायल हो रहे है। क्या उनको न्याय दिलवा पाएंगे पार्षद? खैर बात बच्चे की कल शाम बच्चे की पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गयी है। जिसमे चोट के कारण बच्चे की हुए संक्रमण के काऱण बच्चे की दुखद निधन हुआ था। इस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने धारा 304 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली है। अब सवाल यह है कि बच्चे की इस दुखद निधन पर क्या स्कूल प्रशासन दोषी है? पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ना तो स्कूल दोषी है औऱ ना ही पुलिस दोषी है। दोष है तो उस लापरवाही का जो बच्चे को दुखद निधन तक ले गयी। बच्चे को चोट कैसे कहाँ लगी यह जांच का विषय हो सकता है। लेकिन इस मामले में स्कूल प्रशासन की कमी नज़र आती है। कि स्कूल प्रशासन आखिर बच्चों पर नियंत्रण क्यों नही रख पा रहा है। गार्ड,प्रिंसिपल, टीचर अपने कर्तव्यों को क्या ईमानदारी से पूरा कर रहे है। आज किंतन के साथ यह हुआ है,क्या गारंटी है कि कल और किसी बच्चे के साथ यह दुखद घटना ना हो। स्कूल प्रशासन को तुरंत अपनी कार्यशैली में बदलाब लाना होगा। भले ही किंतन कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्कूल बच रहा हो। लेकिन लापरवाही तो हुई है। इस पूरी दुखद घटना में सबसे ज्यादा दुखद बात यह रही कि एक बच्चे की मौत को अवसरवादी नेताओं ने फिर राजनीति का मोहरा बनाया। जबकि होना तो यह चाहिए था कि जितने नेता भी कैंडल मार्च और धरने में शामिल हुए वो किंतन के परिवार को अविलंब 2-2 लाख की आर्थिक मदद करते। तो इस गरीब परिवार की आखिर कुछ तो आर्थिक मदद हो पाती। क्योंकि किसी भी लड़ाई के लिए आर्थिक मदद की तो जरूरत पड़ती ही है।
दो अस्पताल और 1 प्राइवेट डॉक्टर ने किया इलाज..
इस सभी घटनाक्रम में बच्चे की चोट को लेकर 2 अस्पताल और एक प्राइवेट डॉक्टर तक बदला गया था। ऐसा बच्चे के पिता ने कहा था। जबकि स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि बच्चे को चोट स्कूल में नही लगी। अब जो दूसरी रिपोर्ट आनी है उसमें शायद यह तय हो सकता है। कि बच्चे को चोट के कारण संक्रमण फैला था। या अन्य किसी और कारण के यह दूसरी रिपोर्ट में ही साफ हो सकता है।
क्या होती है धारा 304…
आपको बता दें भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का केस चलता है. इस मामले में अगर कोई आरोपी दोषी पाया जाता है, तो अपराध की गंभीरता के आधार पर उसे आजीवन कारावास भी हो सकता है. आपको बता दें हत्या के सभी अपराध गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आते हैं।

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