अपराधदिल्ली

थाना सराय रोहिल्ला 3 साल में 75 प्रतिशत केस निपटाने में रहा नाकाम, सिर्फ 25 प्रतिशत ही हुआ काम

थाने के सभी सीसीटीवी कैमरे खराब,सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उलंघन
दिल्ली (योगेश भारद्वाज) : जिस तरह से थाना सराय रोहिल्ला अंतर्गत चोरियों की वारदात में दिन प्रतिदिन इजाफा होता जा रहा है। उससे जहां पब्लिक चिंतित हैं तो वही दूसरी और इससे पुलिस और पब्लिक के बीच असुरक्षा की भावना जन्म लेती है। लेकिन इन सभी के बीच सबसे बड़ी चिंता की बात तो यह है। की उत्तरी दिल्ली के थाना सराय रोहिल्ला पिछले 3 सालों में काम करने में नाकाम रहा है। इसका जानकारी एक आरटीआई के जरिये पता लगी है। थाना सराय रोहिल्ला पुलिस कितनी मुस्तेद है। यह उसका वर्तमान रिपोर्ट कार्ड देखकर पता लगता है। आरटीआई के मुताबिक थाना सराय रोहिल्ला पुलिस पिछले 3 सालों में दर्ज केसों में से सिर्फ 25 फीसदी ही वर्क आउट कर पाई है। जबकि 75 फीसदी केस थाने में अब भी पेंडिंग है। इससे पता चलता है कि थाना सराय रोहिल्ला पुलिस कितनी मुस्तेद है। थाने ने वर्ष 2021 में कुल 2310 केस रजिस्टर्ड किये जिसमे से वो सिर्फ वो 512 केस ही वर्क आउट कर पाई 552 आज भी पेंडिंग है। वर्ष 2022 में 2451 केस रजिस्टर्ड हुए जिसमे से थाना पुलिस महज 610 केस ही वर्क आउट कर पाई जबकि 945 केस आज भी पेंडिंग है। वर्ष 2023 में 31 जुलाई तक 1068 केस थाने में रजिस्टर्ड हो चुके है जिसमे से थाना पुलिस 521 केस वर्क आउट कर पाई है 246 आज भी पेंडिंग है।
इससे आप अंदाजा लगा सकते है। कि आपकी इलाका पुलिस कितनी मुस्तेद है। और आप कितने सुरक्षित है। खैर अब आपको बताते है कि थाना सराय रोहिल्ला पुलिस सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का कितना मुस्तेदी से पालन कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार हर थाने में पर्याप्त मात्रा में सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए। लेकिन थाना सराय रोहिल्ला ने कैसे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का मज़ाक बनाया है। सुनिए!थाने में और एसीएम कोर्ट में कुल 10 सीसीटीवी कैमरे लगे है। जाबकी एसीएम कोर्ट थाने से थोड़ी आगे है। इसका मतलब यह हुआ कि पूरे 10 कैमरे भी थाने के अंदर नही है। कुल 10 कैमरे ही लगे है जिसमे एसीएम कोर्ट भी शामिल है। हैरानी की बात तो यह है कि यह कुल 10 सीसीटीवी कैमरे पूरी तरह से खराब है। यह बहुत ही गंभीर और चिंता की बात है कि थाने के सभी सीसीटीवी कैमरे खराब है? इसका मतलब यह हुआ कि थाने के अंदर किसी भी प्रकार की कोई जानकारी ना तो सुप्रीम कोर्ट को मिल सकती है और ना ही जनता के अधिकारों के प्रति इसे जबाबदेही बनाया जा सकता है।

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