अपराध

रिटायर्ड पुलिस वालों, दिल्ली पुलिस को बदनाम ना करो

रिटायर्ड पुलिस वालों, दिल्ली पुलिस को बदनाम ना करो.
इंद्र वशिष्ठ
पुलिस पर हमेशा सत्ता के लठैत के रूप में काम करने के आरोप लगते रहते हैं.पुलिस हमेशा दावा करती है कि वह बिना भेदभाव के निष्पक्ष होकर अपने कर्तव्य का पालन करती है. लेकिन दिल्ली पुलिस के नाम से ऐसे चौंकाने वाले बयान सामने आ रहे है जो हैरान करने के साथ साथ पुलिस की छवि को खराब करने वाले है.
दिल्ली पुलिस महासंघ नामक संस्था/ संगठन द्वारा राजनीतिक बयानबाजी कर दिल्ली पुलिस की साख/ इज़्ज़त की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है. इस तरह की हरकत देश भर में कोई अन्य पुलिस संघ नहीं करता है.
कमिश्नर की भूमिका- पुलिस कमिश्नर संजय अरोरा बताएं कि दिल्ली पुलिस के नाम का इस्तेमाल करने का इस कथित महासंघ को किसने अधिकार दिया है?
दिल्ली पुलिस के नाम का इस्तेमाल क्या कोई राजनैतिक बयानबाजी के लिए कर सकता है? क्या दिल्ली पुलिस के नाम पर राजनीति करना कानूनी और नैतिक रूप से सही है?
पुलिस का कोई संगठन/ संघ किसी राजनैतिक दल की तरह बयानबाजी कैसे कर सकता है? पुलिस कमिश्नर बताएं कि राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ का दुरुपयोग करने पर दिल्ली पुलिस महासंघ के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?
सबको मालूम है- महासंघ के पदाधिकारी पुलिस कमिश्नर और स्पेशल कमिश्नर आदि से पुलिस मुख्यालय में मिलते है. कमिश्नर समेत सबको मालूम है कि दिल्ली पुलिस महासंघ के नाम से संगठन/संस्था है.
कमिश्नर की नाक के नीचे महासंघ दिल्ली पुलिस की छवि खराब कर रहा है. कमिश्नर द्वारा महासंघ के ख़िलाफ़ कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?
इससे तो यही लगता है कि कमिश्नर का भी दिल्ली पुलिस महासंघ को समर्थन प्राप्त है.
महिला पुलिसकर्मी को इंसाफ दिलाए-
दिल्ली पुलिस के  एक स्पेशल कमिश्नर पर महिला एएसआई ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया है.दिल्ली पुलिस महासंघ में दम है तो महिला पुलिसकर्मी को इंसाफ दिलाए. स्पेशल कमिश्नर  के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराए और गिरफ्तार कराएं.मातहत पुलिसकर्मियों से बदसलूकी करने के लिए बदनाम स्पेशल कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह यादव के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग करके दिखाए.
छलनी भी बोले-छाज बोले सो बोले छलनी भी बोले जिसमें सत्तर छेद यह कहावत इस महासंघ पर लागू होती है. दिल्ली पुलिस महासंघ नामक यह संगठन  गैर भाजपा शासित राज्यों की पुलिस के ख़िलाफ़ भी बयानबाजी कर रहा है.महासंघ यह भूल रहा है कि शीशे के घर में रहने वाले को दूसरे पर पत्थर नहीं मारने चाहिए.अगर उन राज्यों की पुलिस भी पलट वार करने लगी, तो दिल्ली पुलिस को अपना चेहरा दिखाना मुश्किल हो जाएगा.
कमिश्नर को पुलिसिंग सिखा रहे-
दिल्ली पुलिस महासंघ के अध्यक्ष रिटायर्ड एसीपी वेद भूषण शर्मा इतने ज्ञानी और काबिल हैं कि वह अब पुलिस कमिश्नर तक को यह बताने की जुर्रत करने लगे हैं कि दिल्ली पुलिस को कैसे काम करना चाहिए. इसका अंदाजा महासंघ के इस टि्वट से ही लगाया जा सकता है.
बलपूर्वक हटा दो-“जंतर-मंतर पर अवैध अतिक्रमणकारियों को बलपूर्वक हटाया जाए” क्योंकि सक्षम प्राधिकारी से कोई अनुमति नहीं ली गई थी और यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है.यह दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही जांच में हस्तक्षेप करने जैसा है. इसके पीछे छिपी हुई ताकतें काम कर रही हैं.(4 मई23)
दिल्ली पुलिस महासंघ नाम के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट की बानगी पेश हैं.
पंजाब डीजीपी माफी मांगें-भावना मामले में कथित रूप से कोई अपराध नहीं बनता है। इसलिए एफआईआर को तत्काल रद्द किया जाए.झूठा केस करने के आरोप में संबंधित पंजाब पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए. डीजीपी को माफी मांगनी चाहिए.( 09 मई 23)
सीबीआई जांच-सीबीआई द्वारा जांच की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री के बंगले के लिए जनता के धन का निवेश किया गया है.यह दिल्ली वालों के टैक्स के पैसे की बेईमानी है जिसका सीएम द्वारा व्यक्तिगत उपयोग के लिए दुरुपयोग किया गया. ( 26 अप्रैल 23)
गिरफ्तार करो-शर्मनाक हरकत। “वी मिस यू मनीष जी “के होर्डिंग्स सरकारी संपत्ति पर लगाना आईपीसी की धारा 425 और डीपीडीपी एक्ट के तहत अपराध है.आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए.(28-4-23)
 राष्ट्रपति शासन लगाओ-दिल्ली शराब नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए. दिल्ली सरकार का प्रमुख होने के नाते उन्हें दोष मुक्त नहीं किया जा सकता. पंजाब और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए.
(26 फरवरी 23 )
किसान यूनियन के गुंडे-किसान यूनियन के गुंडों पर दिल्ली पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई की जाए. वे देशद्रोही/अपराधी हैं.किसान नेताओं के खिलाफ एनएसए लगाया जाए. (13-2-2021)
एक भी शिकायत में दम नहीं-
शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में धरना देने वालों और किसान आंदोलन करने वालों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने के लिए रिटायर्ड एसीपी वेद भूषण शर्मा ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए दिल्ली पुलिस को लिखित शिकायत दी थी. यही नहीं पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के ख़िलाफ़ देशद्रोह के आरोप में एफआईआर दर्ज कराने के लिए भी दिल्ली पुलिस को लिखित शिकायत दी.
इसके अलावा अनेक मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के लिए दिल्ली पुलिस को लिखित शिकायत दी गई. रिटायर्ड एसीपी द्वारा अपनी हरेक शिकायत में बकायदा आईपीसी की धारा भी दी गई, जिनके तहत एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए.
लेकिन उनकी किसी भी शिकायत पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई. इसका पता इससे चलता है कि अगर एफआईआर दर्ज की जाती तो वह खुद ढिंढोरा पीट कर बताते.
इससे यह भी पता चलता है कि रिटायर्ड एसीपी को कानून की कितनी समझ है ? इससे तो लगता है कि सिर्फ प्रचार के मकसद से वह यह सब कर रहे हैं.
वेद भूषण को अगर नेतागिरी ही करनी है तो कम से कम उस दिल्ली पुलिस के नाम का तो दुरूपयोग/ इस्तेमाल न करें, जिसकी वजह से उनकी पहचान और वजूद बना है.
पुलिसकर्मियों का कितना कल्याण किया-
दिल्ली पुलिस महासंघ से जुड़े एक रिटायर्ड अफसर ने नाम न देने की शर्त पर कहा कि महासंघ को मिलने वाले पैसों का यानी हिसाब किताब का ऑडिट होना चाहिए.
महासंघ के पदाधिकारियों द्वारा देश और विदेश में यात्राएं व्यक्तिगत खर्च से की जाती हैं या महासंघ के पैसों से, यह भी महासंघ को बताना चाहिए. महासंघ को यह भी बताना चाहिए कि आज तक उसने पुलिसकर्मियों के कल्याण के लिए क्या किया है.

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