विधायक और पार्षद के एक ही पार्टी का होने से होता है वार्ड का उद्धार, भाजपा भी करती है डबल इंजन का प्रचार
– योगेश भारद्वाज
दिल्ली : यहाँ निगम चुनावों में मुख्यतः आम आदमी पार्टी और भाजपा में मुकाबला है। कांग्रेस भी मैदान में है,जबकि यहाँ दिल्ली सरकार में केजरीवाल है। तो नगर निगम में पिछले 15 सालों से भाजपा काबिज है। अब चुनावों में यहाँ डबल इंजन का शब्द चल पड़ा है। हालांकि इस शब्द का प्रयोग भाजपा चुनावों में अक्सर करती है। लेकिन दिल्ली में तस्वीर उल्टी है यहाँ दिल्ली सरकार केजरीवाल के पास है। जबकि विभिन्न राज्य विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान भाजपा ने अक्सर ‘डबल इंजन सरकार‘ वाक्यांश का इस्तेमाल किया है । पार्टी ने पहली बार 2014 के हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान इसका इस्तेमाल किया, जो लोकसभा चुनाव के छह महीने बाद हुए: बीजेपी नेताओं ने मतदाताओं से अपील की कि वे इन राज्यों में उसी पार्टी (बीजेपी या एनडीए) को चुनें जो सत्ता में हो अपने राज्यों के बेहतर विकास के लिए केंद्र। बाद के विधानसभा चुनावों में भी यही अपील गूंजी। अब यही प्रयोग दिल्ली निगम चुनावों में केजरीवाल सरकार कर रही है।
क्या फायदा होता है विधायक और पार्षद के एक ही पार्टी से होने से…
जिस तरह से केंद्र और राज्य सरकार एक ही पार्टी होने का लाभ लेती है। ठीक उसी तरह से राज्य के निगम में भी एक ही पार्टी के पार्षद होने का लाभ जनता को मिलता है। विपरीत परिस्थितियों में निश्चित ही वार्ड विकास से कोसों दूर हो जाता है। इसका नज़ारा दिल्ली की जनता देख चुकी है।