लोगो को याद आ रहे है टी एन शेषन,वो होते तो चुनाव आयोग इतना लाचार नही होता
– योगेश भारद्वाज
नई दिल्ली : दिल्ली नगर निगम चुनावों की तिथि समय निकाल जाने के 8 महीने बाद तक अभी तक घोषित नही हुई है। जबकि गुजरात चुनावों की तिथि भी अभी तक आयोग ने घोषित नही की है। जबकि दिल्ली नगर निगम चुनावों की तिथि समय पर चुनाव आयोग घोषित करने जा रहा था। तो उसी समय एक फोन की घँटी ने लोकतंत्र के इस नियम की ही घँटी बजा दी और आज तक दिल्ली निगम चुनाव स्थगित हुए पड़े है। इन सब नाटकीय घटनाक्रम को देखकर लोगों को अब पूर्व चुनाव आयुक्त
टीएन शेषन की याद आ रही है। लोगों में चर्चा है कि यदि आज टीएन शेषन होते तो यह सब नाटकीय घटनाक्रम नही होता। हालांकि आज कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग पर तंज कसा है। कांग्रेस ने ट्वीट करके कहा है कि यह चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्था है क्या? लेकिन कांग्रेस भी दिल्ली चुनाव आयोग के परिसीमन के खिलाफ खुद कोर्ट गयी हुई है। जिससे यह मामला और आगे बढ़ गया है। जिसमे कमोबेश अब भाजपा और कांग्रेस दोनो की कमी जनता को नज़र आ रही है। कि आखिर में इन दोनों राजनेतिक दलों को किस बात का डर है। कि यह चुनाव लागतार टाले जा रहे है। बरहाल अब आपको बताते है। कि आखिर लोगो को टीएन शेषन क्यो याद आ रहे हैं।
बीते दशकों में टीएन शेषन से ज़्यादा नाम शायद ही किसी नौकरशाह ने कमाया है. 90 के दशक में तो भारत में एक मज़ाक प्रचलित था कि भारतीय राजनेता सिर्फ़ दो चीज़ों से डरते हैं।
एक भगवान और दूसरे टी एन शेषन से और ज़रूरी नहीं कि उसी क्रम में! शेषन के आने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त एक आज्ञाकारी नौकरशाह होता था जो वही करता था जो उस समय की सरकार चाहती थी। और अब वही स्थिति हो गयी है। जिसको लेकर आज कांग्रेस ने भी तंज कस दिया।