बदले शास्त्री नगर भाजपा सीट के समीकरण, इन उम्मीदवारों में एक को टिकिट मिलना तय,एक भाजपाई लड़ेगा निर्दलीय
— परिसीमन के बाद दावेदारों की संख्या में इजाफा लेकिन टिकिट शास्त्री नगर से ही होगी
– शास्त्री नगर से पहले हार चुके सदर के एक नेता अब नही कूदेंगे इस वार्ड
– योगेश भारद्वाज
दिल्ली : “हमे तो अपनो ने लूटा गैरो में कहाँ दम था,शास्त्री नगर भाजपा की किश्ती डूबी वहाँ जबसे इंद्रलोक संग था” यह बात अब शास्त्री नगर भाजपा पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है। जिस तरह से भाजपा परिसीमन से पूर्व शास्त्री नगर वार्ड की सीट को जीता हुआ मानकर चल रही थी। और इस सीट पर यहाँ कई उम्मीदवारों से अतिरिक्त सदर से भी एक नेताजी आँख गड़ाए हुए थे। उसका परिसीमन के बाद पूरा भूगोल और गणित ही बिगड़ गया है। जिसके चलते सदर के एक नेताजी तो अब शायद ही यहाँ कूदे लेकिन अब भी कई भाजपाई मजबूती से टिके हुए है। जिसमे से एक भाजपाई यहाँ से पहले की तरह निर्दलीय ही लड़ेगा क्योकि उसके पुराने वोट बैंक में एफ डी बने रखे है। ऐसा उसका मानना है लेकिन सूत्रों के अनुसार इस बार उसको महज 2 हज़ार वोट भी मिल जाये तो बहुत बड़ी बात होगी। बरहाल अब यहाँ इन्द्रलोक क्षेत्र के आ जाने से पूरा 27 हज़ार वोटों का इजाफा हो गया है। और इस क्षेत्र में भाजपा के इस पूर्व बागी निर्दलीय प्रत्याशी को कोई भी नही जानता। लेकिन इस सब मे भाजपा पूर्व में भी इस सीट को जीत चुकी है। इसलिए अब भी इस वार्ड से भाजपा की उम्मीदें कायम है। समय बदलने के साथ अब शास्त्री नगर भाजपा में कई परिवर्तन हो चुके है। यदि वर्तमान परिदृश्य की बात करे तो यह तय है कि भाजपा शास्त्री नगर से ही किसी भाजपाई को ही टिकिट देगी जिसमे से पूर्व निगम पार्षदा नीलम धीमान, वर्तमान जिला महामंत्री हरिकिशन गुप्ता, महिला मोर्चा महामंत्री अन्नू अरोड़ा के नाम प्रमुख है। खैर भाजपा को इस वार्ड में टिकिट देना किसी समुद्र मंथन से कम ना होगा।
– किशनगंज वार्ड और आनंद पर्वत से भी कूद सकते है कई नेता..
दूसरी सबसे अहम बात यह कि यहाँ भाजपा में आपसी विवाद की स्थिति में किशनगंज वार्ड जो कि अब एस सी वार्ड हो गया है। और आनंद पर्वत से वहाँ से भी कई भाजपाई उम्मीद लगाए बैठे है। जिससे यहाँ मामला और गंभीर हो जाएगा।
– निर्णय की स्थिति में आरएसएस निभा सकता है भूमिका
तीसरा जब मामला नही निपटेगा तो आरएसएस संकट मोचन की स्थिति में आ सकता है। सूत्र बताते है कि कही ऐसा ना हो कि यहाँ किसी ऐसे चेहरे को ही उतार दिया जाए जो बिल्कुल नया हो। लेकिन इसकी उम्मीद कम ही है। क्योंकि आरएसएस को भी पता है कि यह चुनाव पार्टी का कम चेहरे का ज्यादा है। इसलिए यहाँ उपरोक्त तीन नामो में से ही एक को टिकिट मिलना तय है।
– सदर वार्ड में ज्यादा गुटबाजी से बचना चाहते है पुराने नेता..
शास्त्री नगर वार्ड पर सदर वार्ड की निगाहें रहेगी क्योकि इन दोनों में से एक महिला और एक सामान्य वार्ड बनेगा। इस दशा में सदर वार्ड के दो नेता नही चाहेगे की सदर वार्ड में ज्यादा उम्मीदवार पैदा हो। सारी गुटबाजी शास्त्री नगर ही ट्रांसफर हो जाये जिससे दोनों नेताओं की चल जाये।
खैर यह तो चुनाव पूर्व जमीनी आकलन है। तय तो भाजपा को ही करना होगा। हम तो ख़बरनवीस है। खबरे देते रहेंगे कुछ खुश होंगे कुछ नाराज होंगे लेकिन हम तो जनता और गणित की बात करते ही रहेंगे। जिसको बुरा लगे तो लगे क्योकि सच्चाई छुप नही सकती बनाबटी उसूलों से..और खुशुब आ नही सकती कागज के फूलों से।