शास्त्री नगर वार्ड में भाजपा की स्थिति “हमे तो अपनो ने लूटा गैरो में कहाँ दम था..किश्ती डूबी वहाँ जहाँ इंद्रलोक खड़ा था”
– परिसीमन के बाद कमजोर मंडल और पुराना बागी बनेगा भस्मासुर
– टाइगर कमांड
शास्त्री नगर : बहुप्रतीक्षित दिल्ली नगर निगम चुनाव की पहली औपचारिकता तो वार्डो के परिसीमन की घोषणा के बाद हो चुकी है। जिसको देखकर लग रहा है। कि इसी साल के अंत मे निगम को अपने 250 पार्षद मिल जायेगे। यह चुनाव अब भाजपा की नाक का सवाल बन गया है। क्योंकि जिस तरह से मार्च में चुनावों की घोषणा होने से ऐन वक्त पहले इन चुनावों को टाला गया उसको देखकर साफ लग रहा था। की केंद्र सरकार के पास इसको लेकर व्यापक सर्वे था। सूत्रों की माने तो इस चुनाव में भाजपा को आम आदमी पार्टी से कडी टक्कर मिल रही थी। खैर अब परिसीमन के बाद सारे वार्डो का गणित ही बदल गया है। जहां कुछ वार्ड भाजपा के पक्ष में नज़र आ रहे हैं। तो वही कुछ अब आम आदमी पार्टी के पक्ष में भी नज़र आ रहे है। आज हम आपको परिसीमन के बाद शास्त्री नगर वार्ड की स्थिति से अवगत करा रहे है। यहाँ परिसीमन के बाद बाद भाजपा के लिए चुनौती खड़ी हो गयी है। जहाँ भाजपा को इस वार्ड में पिछली बार बागी मनोज जिंदल ने निर्दलीय उम्मीदवार खड़े होकर हरा दिया था। वही इस बार भी इनका निर्दलीय खड़ा होना तय है। जबकि मंडल यहाँ लंगड़ा हो चुका है। यहाँ का मंडल हमेशा से ही विवादों में घिरा रहा है। हैरानी की बाद तो यह है कि यह मंडल 2 साल बाद तक भी मोर्चों की नियुक्ति में ही लगा हुआ है। जबकि यह मंडल यहाँ की आवादी में लगभग 12 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले सिख प्रकोष्ठ के गठन तक नही कर पाया वो मंडल भला भाजपा को क्या चुनाव जीता पायेगा। अब तो परिसीमन के बाद इस वार्ड में भाजपा की वो स्थिति हो गयी है। जिसमे कहा जा सकता है। कि हमे तो अपनो ने लूटा गैरो में कहाँ दम था..किश्ती डूबी वहाँ जहाँ इंद्रलोक खड़ा था।