इंस्पेक्टर ने 10 लाख लेकरअपराधी को छोड़ दिया या बेकसूर से वसूली की?
दो इंस्पेक्टरों पर वसूली के लिए अत्याचार करने का आरोप।
– इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के दो इंस्पेक्टरों समेत कई पुलिस वालों पर वसूली के लिए एक व्यक्ति को अवैध तरीक़े से बंधक बनाने और यातनाएं देने का मामला सामने आया है।
पुलिस इंस्पेक्टरों ने पैसे लेकर अपराधी को छोड़ दिया या बेकसूर से वसूली की है। यह खुलासा तो अब जांच में ही होगा। लेकिन दोनों ही सूरत में मामला पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लगाने वाला है।
अदालत ने इंस्पेक्टरों समेत अन्य पुलिस वालों के मोबाइल फोन का कॉल रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का आदेश दिया है।
बाहरी उत्तरी जिले के एएटीएस(वाहन चोरी निरोधक दस्ते) के इंस्पेक्टर संदीप यादव, इंस्पेक्टर पवन यादव और एएसआई राकेश आदि पर यह गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
अदालत का डीसीपी को आदेश-
रोहिणी अदालत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट तपस्या अग्रवाल ने बाहरी उत्तरी जिले के डीसीपी बृजेन्द्र कुमार यादव को आदेश दिया है कि वह उपरोक्त पुलिसकर्मियों के मोबाइल फोनों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड सुरक्षित रखे।
अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि समय पुर बादली थाना, जहां पर एएटीएस का दफ्तर हैं वहां पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी सुरक्षित रखी जाए।
आठ अगस्त से लेकर दस अगस्त तक की मोबाइल फोनों की सीडीआर और सीसीटीवी कैमरों की फुटेज सुरक्षित रखी जाए।
इंस्पेक्टर संदीप यादव, इंस्पेक्टर पवन यादव आदि के सरकारी मोबाइल फोनों के अलावा उनके निजी मोबाइल फोनों की सीडीआर भी सुरक्षित रखी जाए।
जिससे पुलिसकर्मियों की मौके पर मौजूदगी/लोकेशन, शिकायतकर्ता के परिजनों को वसूली के लिए कॉल करने आदि का पता लगाया जा सकता है।
वसूली के लिए अत्याचार-
आरोप है कि प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी चलाने वाले अजय रोहिल्ला को एएटीएस वाले रास्ते से उठा कर ले गए। हथकडी लगा कर गैरकानूनी तरीक़े से बंधक बंना कर रखा और उसकी पिटाई की गई।
आरोप है कि अजय रोहिल्ला को बंद करने की धमकी देकर लाखों रुपए की मांग की गई। वसूली के बाद ही अजय रोहिल्ला को छोड़ा गया।
10 लाख वसूलने का आरोप –
अजय के वकील सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया कि दस लाख रुपए वसूलने के बाद अजय को छोड़ा गया। अजय से मांगे तो तीस लाख रुपए गए थे।
पुलिस को रकम अजय की मां/परिजनों ने दी। रकम बादली इलाके में नहर पर दी गई। मंजीत मलिक नामक पुलिसकर्मी रकम लेने आया था।
पुलिस ने अजय रोहिल्ला का लैपटॉप और मोबाइल फोन भी गैरकानूनी तरीके से अपने पास रखा हुआ है। जो उसे अभी तक वापस नहीं दिया है।
आईपीएस ईमानदारी से जांच करें-
आईपीएस अफसर अगर ईमानदारी से जांच कराएं, अजय की मां/परिजनों और पुलिस कर्मियों के मोबाइल फोन की सीडीआर देखें तो यह भी आसानी से पता चल जाएगा कि कौन पुलिसकर्मी अजय की मां की लोकेशन (नहर) पर मौजूद था। इससे ही पता चल जाएगा कि वह पुलिसकर्मी वसूली की रकम लेने गया था।
अजय को जब पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से बंधक बनाया हुआ था तब आधी रात तक वकील संजय शर्मा, करन सचदेवा और नितिन भारती आदि वकील भी उसकी पैरवी करने वहां मौजूद थे।
अगले दिन तक जब अजय रोहिल्ला पुलिस की गैरकानूनी हिरासत में था तभी वकील संजय शर्मा ने इस मामले की शिकायत पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा, स्पेशल कमिश्नर दीपेंद्र पाठक, संयुक्त आयुक्त विवेक किशोर आदि को की। इसके बाद मानवाधिकार आयोग आदि को भी शिकायत की गई।
जिसके बाद पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने एएटीएस द्वारा दर्ज मामले मामले की जांच अपराध शाखा को सौंप दी है।
दूसरी ओर वकील नितिन भारती की ओर से वकील संजय शर्मा ने अदालत में भी शिकायत दायर की जिस पर अदालत ने सीसीटीवी फुटेज और पुलिसकर्मियों की सीडीआर सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। वकील नितिन ने पुलिसकर्मियों पर उसके साथ भी दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है।
पुलिस की कहानी-
बाहरी उत्तरी जिला के डीसीपी बृजेंद्र कुमार यादव ने दस अगस्त को एएटीएस की एक कहानी मीडिया में दी। पुलिस ने पवन कुमार नामक व्यक्ति को आठ अगस्त को गिरफ्तार कर दावा किया कि पवन मोटी रकम लेकर गैरकानूनी तरीके से लोगों को मोबाइल फोन की सीडीआर उपलब्ध करवाता था। पवन नोएडा की वीनस डिटेक्टिव एजेंसी में काम करता है।
पवन किस पुलिस कर्मी या मोबाइल नेटवर्क कंपनी के किस व्यक्ति के माध्यम से सीडीआर निकलवाया करता था। पुलिस ने यह बात उस समय मीडिया को नहीं बताई। इस मामले में बाद में कई अन्य को भी गिरफ्तार किया गया।
पुलिसकर्मी या मोबाइल नेटवर्क कंपनी के लोगों की मिलीभगत के बिना सीडीआर निकाली ही नहीं जा सकती।
सूत्रों से पता चला है कि सीडीआर मामले में एक पुलिसकर्मी भी शामिल है।
किसे बुलाया, किसे छोड़ा और क्यों-
अजय के वकील ने बताया कि कि इस मामले की जांच के नाम पर ही पुलिस ने अजय रोहिल्ला के अलावा एक अन्य डिटेक्टिव एजेंसी की मालिक महिला और उसकी महिला कर्मचारी आदि को भी बुलाया था।
कमिश्नर ईमानदारी से जांच कराएं-
इस मामले में सबसे बड़ा और गंभीर सवाल यह है कि क्या अजय रोहिल्ला भी गैरकानूनी तरीके से सीडीआर उपलब्ध कराने के अपराध में शामिल है। अगर हां, तो पुलिस ने उसे छोड़ कर संगीन अपराध किया है।
लेकिन अगर अजय बेकसूर है तो वसूली के लिए उससे अपराधी की तरह सलूक क्यों किया गया।
दोनो ही सूरत में पुलिस की भूमिका संदिग्ध हो जाती है।
पुलिस कमिश्नर अगर ईमानदारी से जांच कराएं जाए तो ही यह पता चल सकता है कि जांच के नाम पर एएटीएस में डिटेक्टिव एजेंसियों की महिलाओं समेत किन-किन लोगों को बुलाया गया था और उनकी भूमिका क्या थी। उन सभी को बुलाने और छोड़ने की पूरी कहानी सामने आनी चाहिए।
सीडीआर उपलब्ध कराने में क्या कोई पुलिसकर्मी शामिल है? क्या एएटीएस ने उस पुलिसकर्मी को पकड़ने की कोशिश की थी या उसे बचाया गया है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार अपराध शाखा को इस मामले की जांच में पुलिसकर्मी के शामिल होने का पता चला है। अपराध शाखा उसकी तलाश कर रही है।
इत्तेफाक –
इस मामले में एक अजीब संयोग सामने आया है।
बाहरी उत्तरी जिले के डीसीपी बृजेंद्र कुमार यादव है। उनके मातहत आरोपी इंस्पेक्टर संदीप यादव और पवन यादव हैं। अपराध शाखा जो अब इस मामले की जांच कर रही उसके मुखिया स्पेशल कमिश्नर रविंद्र यादव हैं।
इंस्पेक्टर संदीप यादव डीसीपी का चहेता बताया जाता है।
ऐसे में आईपीएस अफसरों की जिम्मेदारी बनती है कि वह पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता से जांच कर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करके दिखाएं।
एसीपी ने 15 लाख मांगे-
सीबीआई ने 31अगस्त को बाहरी उत्तरी जिले के ही एसीपी बृज पाल के खिलाफ 15 लाख रुपए रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया है। इस मामले में एएसआई दुष्यंत गौतम को सात लाख 89 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है।
बाहरी उत्तरी जिला के बवाना थाना स्थित नारकोटिक्स विभाग में तैनात एसीपी बृज पाल और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।