अपराधदिल्ली

भाजपा को क्यो बदनाम करते है पार्टी के छुटभैय्या नेता,थानों में जाकर करते है दलाली

भाजपा को क्यो बदनाम करते है पार्टी के छुटभैय्या नेता,थानों में जाकर करते है दलाली
– शास्त्री नगर भाजपा मंडल अध्यक्ष भी गुंडों को बचाने थाने क्यों पहुँचा?
– टाइगर कमांड
दिल्ली : नोएडा के श्रीकांत त्यागी कांड को जिस तरह से मीडिया कवरेज मिला उससे तो पूरी दुनिया को मालूम पड़ गया कि कैसे सत्ताधारी पार्टी के नाम पर कानून को खिलौना बनाकर खेला जाता है। लेकिन यह सच्चाई पूरे देश के हर गली कस्बे में देखी जा सकती है। सत्ताधारी पार्टी के छुटभैय्या नेता गली मोहल्लों में किस तरह से अपना रौब झाड़ते फिरते है। यही नही थानों में बैठकर भी इनकी दलाली भी खूब चलती है। पुलिस को तो ऐसे ही दलाल चाहिए जो सत्ता में इनकी तारीफ भी करे और और इनकी कमाई भी करे। ऐसे मामले अक्सर मीडिया की खबरे नही बन पाते या कहे कि लोग डरकर चुप हो जाते है।
शास्त्री नगर भाजपा मंडल अध्यक्ष भी गुंडों को बचाने थाने क्यों पहुँचा?
अब आपको मध्य दिल्ली के शास्त्री नगर की एक घटना बताते है। यहाँ कुछ गुंडों ने एक खबर पर हुई कर्यवाही से बौखला कर एक पत्रकार पर सारे राह हमला करके उसका हाथ तोड़ दिया था। जिसकी शिकायत थाना सराय रोहिल्ला में पत्रकार ने दर्ज करा दी थी। चूंकि इस घटना का पूरा मामला सीसीटीवी में कैद हो गया था। और मेडिकल भी हो गया था। इसलिए एफआईआर तो दर्ज होनी ही थी। लेकिन चूंकि गुंडों की भाजपा मंडल अध्यक्ष से साठगांठ थी। इसलिए गुंडों को बचाने भाजपा मंडल अध्यक्ष अपने कुछ गुर्गों के साथ थाने भी पहुँच गया और वहाँ अपने कुछ आकाओं से एसएचओ को फ़ोन कराकर एफआइआर रुकवाने का दबाब बनाने लगा। लेकिन जब उसे लगा कि एफआईआर कानूनन रुक ही नही सकती तो उसने पुलिस से साठगांठ करके शांति भंग का केस पत्रकार पर दर्ज कराने की सेटिंग कर ली जिसमे पुलिस ने इस झूठे मुकद्दमें में उसका साथ दिया। मजे की बात तो ये है कि इस फर्जी कलन्दरा का नोटिस अभी तक पत्रकार को मिला ही नही है। और एक डेट भी पुलिस वालो ने लगा भी ली। बरहाल इस मामले को पत्रकार ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर और पुलिस उपायुक्त को भेजकर पूछा है। कि जिसके ऊपर हमला करके चोट पहुचाई जाती हो। वो शांति भंग कैसे कर सकता है। कई पत्रकार संगठनो ने भी पुलिस की इस कर्यवाही की निंदा की है। जबकि यह मामला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया भी पहुँच गया है।
पत्रकार की खबर पर कर्यवाही हो तो क्या पुलिस शांति भंग का केस बनाएगी…
सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि किसी पत्रकार की खबर पर कोई कानूनन कार्यवाही होती है। तो क्या पुलिस शांति भंग का केस बनाकर पत्रकार को डराने का काम करेगी? इस बात का जबाब पुलिस को देना ही होगा कि किस तरह से पत्रकार की खबर पर शांति भंग हो सकती है। यदि कही सड़को पर अतिक्रमण है या भ्र्ष्टाचार है और उसकी खबर पत्रकार प्रकाशित करता है। तो क्या शांति भंग का केस होता है। इस तरीके से तो पूरे भारत के पत्रकारो पर ही शांति भंग का केस दर्ज हो जाएगा।

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