उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, खुद के घरों में लगे है अवैध समरसेबिल, ज्ञान पेल रहे दुसरो को
– टाइगर कमांड
दिल्ली : अपने वो कहावत तो सुनी होगी कि “उल्टा चोर कोतवाल को डांटे” ऐसा ही कुछ आजकल मध्य दिल्ली के शास्त्री नगर में चल रहा है। यहाँ अफवाहबाज एक गैंग के कुछ सदस्य जिसमे एक चूरन टाइप प्रोपर्टी डीलर,एक गालीबाज स्वघोषित समाजसेवी,एक बलात्कारी पुत्र का आपराधिक हिस्ट्री लिए इसका बाप जो दो पन्ने इस गैंग की भीख पर छाप कर वार्ड में कुछ भी उल्टा पुल्टा अफवाह फैलाने की नाकाम कोशिस कर देता है। अब जब इनकी हर झूठी अफवाह की पोल कोई राष्ट्रवादी ,निष्पक्ष और निडर अखबार खोल देता है। तो यह गैंग कोई ना कोई झूठ और अफवाह फैलाने की तैयारी में लग जाता है। अब इनको कुछ नही मिला तो इस गैंग ने निवर्तमान निगम पार्षदा के परिवार के एक सदस्य पर समरसेबिल से पानी बेचने का आरोप लगाया है। आरोप लगाया गया है कि इसमें सदर विधायक से इनकी साठगांठ है। अरे भाई जब सदर विधायक खुद ही इनके पारिवारिक सदस्य है तो साठगांठ कैसी। बेबकूफी की हद तो यह है कि जिस चपड़गंजु ने दो पन्ने के वित्तपोषित पेम्पलेट में यह ऎड छपवायी है। उसके और छापने वाले के यहाँ खुद अवैध समरसेबिल लगा हुआ है। जिसमे दो पन्ने की पेम्पलेट छापने वाले आपराधिक छबि वाले पत्तलकर के यहाँ तो खुद जल बोर्ड ने इसका अवैध समरसेबिल उखड़ाने की संतुति एस डी एम से कर दी है। तो भला उल्टा चोर कैसे कोतवाल को डांट रहा है। रही बात गालीबाज समाजसेवी की तो उसकी महानता इतनी है कि सरकारी काम को कराते विधायक और निगम पार्षदा है पोस्टर ये अपने लगा देते है। चुनाव लड़ने की अति महत्वकांक्षी इतने है कि ना जाने क्या क्या कर जाते है। कुछ नही मिलता तो पार्कों में बच्चो को गाली बक आते है। बेचारे इस बार चुनाव में निगम पार्षद बनने का सपना लिए बैठे थे लेकिन चुनाव ही अगले दो साल टल गए। अभी उम्र 53 की हो चुकी होगी लेकिन जब तक चुनाव होंगे ये 55 के हो जायेगे भगवान ही इनका भला कर सकते है। कोई दो पन्ने छापने वाला नही जो इनकी खबर भी ठीक ढंग से ना बना सके। बेचारे पूरा फाइनेंस तो करते है दो पन्ने छपने का लेकिन छवि फिर भी नही चमक पाती। खैर अब बात करते है। चूरन टाइप प्रोपर्टी डीलर की ये पहले कांग्रेस के टाइम में लोगों को बहुत रास्ते दिखाकर अपना रास्ता बना लेता था। काफी लेनदेन में महारथ हासिल थी इसे लेकिन वक्त बदला आप का राज आते है सभी गोरखधंदे बंद इसके यहाँ भी चैक किया जाए तो अवैध समरसेबिल मिल ही जायेगा।
वो तो पानी बेच रहे है..तुम तो चुरा रहे हो..
अब बात रही पानी बेचने वालों की तो अव्वल तो वो पानी बेच नही रहे वहाँ पानी बेचने का कोई और काम कर रहा है। दूसरा भाई वो तो पानी बेचकर कम से कम कुछ लोगो को कम दे रहे है। तुम तो अवैध समरसेबिल लगा कर धरती के गर्भ से पानी चुरा रहे हो। इसलिए पहला पत्थर मारने से पहले यह तो सोच लो कि पाप किसने नही किया है।
जिसका जुराबों का शोरूम वो 10 रुपये का पानी बेचेगा?
अब रही बात निगम पार्षदा के परिवार पर पानी बेचने के झूठे आरोप की तो आपको बता दे यही गैंग पहले कहता था कि निगम पार्षदा के भाई का जुराबों का शोरूम है। अब इन चपड़ गंजुओ से पूछो की भाई तुम कौन सा नशा करते हो। जिसका जुराबों का शोरूम है वो 10 रुपये का पानी बेचेगा? इनके पास सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का एकमात्र सहारा विधायक और निगम पार्षद है। जो इनको मुँह तक नही लगाते है। अब बेचारे करे तो क्या करे।
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