नई दिल्ली : सनातन संस्कृति और लोगो की आस्था की केंद्र यमुना अपनी बदहाली की यह तस्वीर और व्यथा सुन ना पाए। आज लगभग पूरी दिल्ली प्यासी है। और आने वाले दिनों के स्थिति और गंभीर होने वाली है लेकिन सिस्टम कितना फेल हो चुका है। यह अब किसी से छुपा नही रहा है। यमुना एक्शन प्लान पर पूर्वर्ती सरकारों से लेकर अब वर्तमान सरकार तक लाखो करोड़ो का एक्शन प्लान लेकर सिर्फ लकीरे ही पीट रही है। और आप और हम सिर्फ आस्था के नाम पर सिर्फ दोष दिए जा रहे। और दिल्ली प्यासी रहती जा रही है। पार्टियों ने एक दुसरो के ऊपर सिर्फ ठीकरा फोड़ने का ही काम किया है। ऐसा नही है इसमें सिर्फ केजरीवाल सरकार ही दोषी हो। इसमे केंद्र की भाजपा सरकार से लेकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश आ तक कि सरकारें भी दोषी है। और सबसे ज्यादा दोष उस सिस्टम का जो इनके अधीन काम करता है। बरहाल पिछले 15 सालों से यमुना एक्शन प्लान चल रहे है। और हम सभी आज तक एक्शन का ही इंतज़ार कर रहे। जबकि कृष्ण की यमुना मैली होने के साथ सूखती जा रही है। दिल्ली में इस समय यमुना सुखी है और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल सहित उनके सभी विधायक हाथ खड़े कर चुके है। जबकि दिल्ली जल बोर्ड कह चुका था कि 13 मई के बाद से दिल्ली के दर्जनभर इलाकों में पानी की किल्लत होनी तय है. अगर यमुना साफ होती तो दिल्ली में दशकों से चली आ रही पानी की समस्याएं दूर हो जातीं. मगर प्रदूषण की मार ने इस नदी को ऐसी चोट पहुंचाई है कि इसकी निर्मलता दशकों पुराना मुद्दा बन गई है और आज यह सूख रही है। उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश व दिल्ली के प्रशासनिक बंटवारों में यमुना का कुदरती रूप इतने हिस्सों में बंट गया है कि यमुना का समरुप प्रवाह कभी होता नहीं. पानी ज्यादा आए तो यमुना सब कुछ बहा ले जाती है, पानी न आए तो राज्यों में पानी को लेकर राजनीतिक रस्साकशी शुरू हो जाती है. नदी के पानी पर राजनीति इस देश में इतनी हावी हो चली है कि नदी होने के दूसरे जरूरी फायदे, नुकसानों का जिक्र गौण हो जाया करता है. मगर याद रहे यमुना बचेगी तो गंगा का अस्तित्व कायम रहेगा. क्योंकि यमुना, पतित पावनी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है. दिल्ली के हुक्मरानों से लेकर आम जनता तक को यह सनद रहे कि अगर नदी का प्रवाह, हमारी लापरवाहियां और राजनीतियां तय करने लगेगी तो प्रदूषण और बढ़ेगा. दिल्ली की दहलीज पर सदियों से देश की प्रमुख नदी का बसेरा है. इसे नाले में तब्दील करेंगे तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।
क्या है यमुना एक्शन प्लान…
यमुना नदी पवित्र गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है। यमुना नदी को भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है और इसका उपयोग लाखों लोग पीने के पानी के अलावा स्नान और सिंचाई के लिए स्रोत के रूप में करते हैं। हाल के वर्षों में यह विभिन्न कारणों से भारी प्रदूषित हो गई है जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण-प्रणाली की जैव-विविधता को भी प्रभावित कर रहे हैं। नदी के प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है अनधिकृत घरेलू अपशिष्ट जल और अन्य कचरे का नदी के किनारे स्थित शहरों से नदी में गिरना। नदी प्रदूषण को रोकने के लिए, भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा हरियाणा के 12 शहरों, उत्तर प्रदेश के 8 शहरों और दिल्ली में एक कार्य योजना के तहत सफाई नदी के कुछ उपाय किए गए हैं। पर्यावरण और वन मंत्रालय का राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय (NRCD) यमुना एक्शन प्लान या YAP को 1993 से लागू किया है। ‘जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन’ (JBIC) उपरोक्त 21 में से 15 में यमुना एक्शन प्लान में सक्रिय भागीदार है। 700 करोड़ रुपये भारत सरकार शेष 6 शहरों के लिए धन मुहैया करा रही है।
यमुना एक्शन प्लान के तहत तैयार की गई प्राथमिक योजनाएं इस प्रकार हैं
सीवरेज कंपोनेंट इंटरसेप्शन और डायवर्सन वर्क्स में इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन मेन पंपिंग स्टेशन और राइजिंग-मेन्स सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट या एसटीपी नॉन सीवरेज कंपोनेंट कम लागत की लागत या LCS शामिल हैं।
वृक्षारोपण सार्वजनिक भागीदारी स्नान घाट / रिवर फ्रंट डेवलपमेंट उत्तर प्रदेश जल निगम (UPJN) उत्तर प्रदेश में, हरियाणा में हरियाणा पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (HPHED), दिल्ली जल बोर्ड (DJB) और दिल्ली में दिल्ली नगर निगम (MCD) सभी लागू कर रहे हैं ये राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय (NRCD) के समन्वय के तहत काम करते हैं।
हर दिन योजनाओं की प्रगति की निगरानी के लिए TEC-DCL कंसोर्टियम या इंडो-जापानी सलाहकारों को परियोजना सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है।