WHO के बयान पर कांग्रेस का मोदी सरकार पर वार,कहा भाजपा ने झूठ बोलने में पाक को हराया
– योगेश भारद्वाज
नई दिल्ली : भारत ने कोरोना से हुई मौतों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों को चुनौती देने का फैसला किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इन आंकड़ों को विश्व स्वास्थ्य महासभा और अन्य मंचों पर चुनौती दी जाएगी। लेकिन WHO के इस बयान ये बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार और भाजपा पर हमला बोला है। कांग्रेस के प्रो. गौरव वल्लभ ने आज पत्रकारो को कहा कि भारतीय जनता पार्टी कह सकती है कि हमने झूठ बोलने में पाकिस्तान को हरा दिया, क्योंकि पाकिस्तान हमसे पीछे है झूठ बोलने में। पर हिंदुस्तान ने जो कोविड की डेथ है, उसको दुनिया में नंबर दो स्थान पर झूठ बोला है। ये WHO का आंकड़ा है, मेरा, आपका, किसी और का नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन, जिसकी प्रामाणिकता पर, विश्वसनीयता पर दुनिया का हर देश विश्वास करता है। वो कहता है कोविड की मौतों के मामले में दुनिया में दूसरा सबसे झूठा डेटा भारत सरकार ने दिया है। ये मेरा नहीं, भारत सरकार के लिए इस शब्द का प्रयोग उन्होंने किया है।
उनका ये कहना है कि 202-21 में भारत सरकार ने 4 लाख 81 हजार कोविड डेथ दिखाई, जबकि वास्तव में 47 लाख कोविड की डेथ हुई। मतलब जितनी भारत सरकार ने डेथ दिखाई उससे 10 गुना ज्यादा कोविड से डेथ भारत में हुई। हमसे आगे झूठ बोलने के मामले में सिर्फ एक ही देश है
जिसने 11 गुना कम बताई। हम थोड़ा सा चूक गए प्रथम स्थान आने में और ये एक डेटा नहीं है वैश्विक, दूसरा एक और डेटा आपको देता हूं।
Lancet Study ने एक स्टडी की और Lancet Study जब स्टडी करता है, तो पूरे रिसर्च पैमाने का ध्यान रखा जाता है। उस Lancet Study की स्टडी में ये बताया गया कि 40 लाख 70 हजार लोग कोविड के दौरान 2020-21 में भारत में जिनका स्वर्गवास हुआ, तो 40 लाख 70 हजार एक वैश्विक संगठन बता रहा है, WHO 47 लाख बता रहा है और बाकी जो प्रमाणित और संस्था हैं, क्योंकि हमने देखा है कि अभी 2021 में एक स्टेट की कोविड डेथ का अनुमान एक न्यूज पेपर ने किया था, उस पर छापा पड़ गया। जैसे ही उसने अनुमान किया, उसके ऊपर छापा पड़ा।
तो हम ये पूछना चाहते हैं कि डेढ़ करोड़ लोगों की जान कोविड से दुनिया में गई, उसमें से 47 लाख इंडिया में है। मतलब दुनिया में हर तीन में से एक व्यक्ति हिंदुस्तान में है, कोविड के दौरान जिनकी डेथ हो रही थी। भारत सरकार ने देश के लोगों की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता को तार-तार क्यों किया?
क्यों दुनिया की एजेंसी, वैश्विक एजेंसी कह रही है कि झूठा डेटा देने में दुनिया में नंबर दो स्थान पर भारत है, ऐसा वैश्विक एजेंसी क्यों कह रही है?
क्यों हमने हमारी कोविड डेथ को 10 गुना कम करके दिखाया है? ऐसा क्यों किया गया है?
भारत सरकार ने चिरपरिचित अंदाज में कह दिया कि हम इस डेटा को नहीं स्वीकार करते हैं। ठीक है सीएमआईई का डेटा आप स्वीकार नहीं करते हैं, WHO का डेटा आप स्वीकार नहीं करते हैं। आपको अंतर्राष्ट्रीय मैगजीन डिवाइडर इन चीफ का खिताब देती है, उसकी बात आप स्वीकार नहीं करते हैं, हिंदुस्तान के एक अखबार ने, मध्य प्रदेश राज्य में बताया कि एक महीने में एक लाख से ज्यादा कोविड के दौरान मृत्यु हुई, उसके ऊपर आपने छापा पड़वा दिया। पर एक चीज तो देश के हर व्यक्ति ने देखा और आपको स्वीकार करनी पड़ेगी कि कोविड के दौरान, दूसरी वेव के दौरान मां गंगा के अंदर लाशें तैर रही थी और दुनिया की बड़ी-बड़ी रिसर्च एजेंसी और दुनिया के प्रतिष्ठित अखबार हमारी कोविड मिसमैनेजमेंट के बारे में बड़े-बड़े लेख लिख रहे थे।
एक बात आपको स्वीकार करनी पड़ेगी कि दिल्ली में, देश के बड़े शहरों में, लखनऊ में ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण सड़कों पर लोग दम तोड़ रहे थे।
एक बात तो आपको स्वीकार करनी पड़ेगी कि ऑक्सीजन नहीं होने के कारण, लोग जिस तरह से रेमडेसिवीर नहीं होने कारण, आईसीयू बेड नहीं होने कारण, पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने कारण लोग तड़प-तड़प कर कोविड वन और कोविड टू, पहली और दूसरी वेव में हिंदुस्तान में मर रहे थे।
हमारे बहुत स्पेसिफिक सवाल हैं कि मोदी जी, आपने देश की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता को एक बार पुन: दुनिया के पटल पर तार-तार क्यों किया? आप यूरोप में घूम रहे थे और यूरोप में ही दुनिया की एक एजेंसी कह रही है कि झूठ बोलने के मामले में भारत की सरकार दूसरे नंबर पर है।
मोदी जी, हम पूछना चाहते हैं कि कोविड कमीशन, जिसकी मांग हमने कई दफा की है, ऑल पार्टी कोविड कमीशन, जिसमें सारे पार्टी के लोगों के, सारे राजनीतिक दलों के सदस्य जिसके मेंबर हों, उसको स्थापित क्यों नहीं किया जाता ताकि देश को पता लगे कि वास्तव में कितने लोगों ने कोविड के दौरान अपनी जान गंवाई, ताकि देश को पता लगे कि क्यों हमने वैक्सीन जो प्रोक्योरमेंट और वैक्सीन की स्ट्रैटेजी को अपनाने में अन्य देशों से 8-10 महीने ज्यादा लगवाए, ताकि देश को पता लगे कि आईसीयू बेड की व्यवस्था, रेमडेसिवीर की व्यवस्था क्यों नहीं हो पाई?
हम मांग करते हैं कि 4 लाख रुपए कोविड कंपनसेशन बचाने के कारण ताकि आपको 4 लाख रुपए उस व्यक्ति के सम्मान में ना उसके परिवार को देना पड़े, जिसने कोविड के दौरान अपनी जान गंवाई, क्या ये सारा अंडर स्टेटमेंट कंपनसेशन को बचाने के कारण किया गया है?
हमारी स्पेसिफिक दो मांगे हैं –
भारत सरकार तुरंत जिन-जिन लोगों की और जैसा कि Lancet Study और WHO की स्टडी कह रही है, 47 lakh people of our country lost their life due to Covid उन सभी परिवारों को 4 लाख रुपए की कंपनसेशन राशि तुरंत दी जाए, प्वाइंट नंबर वन।
हमारी दूसरी मांग है कि कोविड कमीशन की तत्काल स्थापना की जाए, जिसमें सभी राजनीतिक दलों के सदस्य हों और जो एक टाइम बाउंड मैनर में देश के सामने रखें कि कितने लोगों ने जान गंवाई, कौन-कौन लोग वो दोषी थे, क्यों ऐसा हुआ? जब दुनिया के दूसरे देश वैक्सीन खरीद रहे थे, हम ताली, थाली और मोबाइल की फ्लैश लाइटें जला रहे थे, ऐसा क्यों हुआ?