शास्त्री नगर भाजपा में फूट, एक दूसरे के फोटो लगाने हटाने पर राजनीति,जिला नेतृत्व बेबस
– जिला मंत्री सांसद हर्षवर्धन के कामो की खोल रहे पोल तो मंडल अध्यक्ष खिंचा रहे कथित बलात्कारी पत्रकार के साथ फोटो
– योगेश भारद्वाज
दिल्ली : भाजपा जिला चाँदनी चौक के शास्त्री नगर मंडल में पहले की तरह अब भी कुछ खास नही चल रहा। मंडल अध्यक्ष संगठन को एक करने में कामयाब होते नज़र नही आ रहे। जिसमे जिला नेतृत्व भी बेबस नज़र आ रहा है। अभी पिछले दिनों एक कथित बलात्कारी पत्रकार के साथ के साथ मंडल अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष की फ़ोटो चर्चा में रही तो वही दूसरी और इसको लेकर क्षेत्र मे मंडल की छवि को गहरा धक्का भी लगा है। वही अब एक नई फूट और भाजपा शास्त्री नगर में देखने को मिल रही है। यहाँ पोस्टरों को लेकर विवाद छिड़ गया है। कोई मंडल अध्यक्ष कि फ़ोटो नही लगा रहा तो कोई महामंत्री कि फ़ोटो नही लगा रहा। बरहाल इन सभी मे एक नई बात और देखने को मिल रही है वो यह कि भाजपा के एक पूर्व पदाधिकारी जो गुजरात शिफ्ट होने बताए गए है। उन्होंने भी 5 साल बाद एक पोस्टर निकाल दिया और उसमे भी कई लोगो की फ़ोटो गायब कर दी गयी। वही दूसरी और यहाँ की जिला मंत्री मनोज जिंदल ने दो कदम आगे बड़कर भाजपा की किरकिरी कराने में कसर ही नही छोड़ी उन्होंने तो बाकायदा गाजे बाजे के साथ DDA के पार्कों की दुर्दशा का मुद्दा ही उठा दिया जो कि सांसद हर्षवर्धन के क्षेत्राधिकार में आता है।
बरहाल शास्त्री नगर मंडल मुख्यतः जे पी गुट का समर्थक बताया जाता है। इसके गठन के समय ही इसके पदाधिकारियो पर नज़र डाली जाए तो ये पदाधिकारी परिवार के ही सदस्य के रूप में ही मिलेंगे इससे भाजपा के वो समर्थक और कार्यकर्त्ता वंचित रह गए जो यहाँ कई सालों से काम कर रहे थे।
अपने प्रमुख प्रतिद्वंदी के खिलाफ कुछ भी मुद्दे नहीं उठा पाया मंडल…
अब बात करते है। की आखिर मंडल की भूमिका क्या होती है। मंडल जमीनी स्तर से जुड़ी समस्यों को उठता है। और वो भी जब की उसके सामने दूसरी पार्टी का जनप्रतिनिधि हो। लेकिन पिछले 1 साल से ज्यादा मंडल यहाँ के नागरिकों की कोई भी विशेष जनसमस्या को ठीक से उठा नहीं पाया। इसका मतलब यह हुआ की दूसरी पार्टी का जनप्रतिनिधि अच्छा काम कर रहा है। जिससे मंडल के पास कोई मुद्दा ही नहीं बचा उठाने को लेकिन ऐसा नहीं है राजनीती का लंबा चौड़ा अनुभव रखने वाली भाजपा मुद्दे ही ना तलाश पाये। तो फिर वह चुनाव में जनता के सामने क्या बोलेगी। यदि मंडल के पिछले 1 साल के कार्यकाल पर प्रकाश डाले तो मंडल यहाँ के जनप्रतिनिधि के सामने कोई भी विशेष आंदोलन नहीं कर पाया। यह एक बड़ा आंदोलन विधायक के आवास पर प्रदर्शन का तो हुआ लेकिन उसमें प्रदेश और जिले की भूमिका सबसे बड़ी थी। उसके बाद यदि कोई और बड़ी जनसमस्या मंडल ने उठायीं हो ऐसा कही पता नहीं चलता हैं।
जब मंडल के खिलाफ ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष ने खोल दिया मोर्चा…
अब सबसे बड़ी चिंता की बात यह है। कि मंडल के मोर्चो में ही विवाद खड़ा हो गया इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यहाँ के ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष का वो बयान जिसको उन्होंने भाजपा के एक व्हाट्स एप्प ग्रुप में डाल दिया था। जिसमे लिखा गया था कि मै ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष मंडल की घटियापंथी और आरजकता के खिलाफ अपना इस्तीफा देता हूं। हालाकि इस मामले को ऊपर जाता देख मंडल अध्यक्ष ने ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष का मान मनोवल किया और उससे वह पोस्ट भाजपा के व्हाट्स एप्प ग्रुप से डिलीट करवा दी गयी। उसके बाद अपनी गलती को सुधारने के लिए मंडल अध्यक्ष ने मोर्चा के अध्यक्ष से कुछ दिनों बाद दूसरी पोस्ट डालवाई गयी जिसमे जिले के पदाधिकारियों की बुराई की गयी और मंडल अध्यक्ष की तारीफ़ की गयी। इससे यह साफ़ हो गया कि मंडल में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा सिर्फ एक दूसरे की ही टांग खिचायीं चल रही है। क्या ऐसे माहौल में भाजपा यहाँ से चुनाव जीत पायेगी।
चरखी वाले पार्क गेट का विवाद..
मंडल अध्यक्ष के सामने शास्त्री नगर में चरखी वाले गेट का भी विवाद जुड़ा हुआ है। यहाँ केंद्रीय मंत्री और यहाँ के सांसद डॉ हर्षवर्धन के द्वरा पार्क के सौन्दर्यकरण और सुरक्षा के लिए यहाँ गेट लगाना मंजूर किया था। जिस पर मंडल अध्यक्ष बीच में आ गए और गेट लगाने से रह गया था।