शास्त्री नगर में भाजपा की आड़ में किया गया पाखंड, अवैध बिल्डिंग को बचाने के लिए पाखण्डी धरने का अंत
जो करते थे शास्त्री नगर में दुसरो की बिल्डिंग की कंप्लेंट उनकी खुद की बिल्डिंग निकली अवैध
ये कैसा अनिश्चितकालीन धरना जो खुद ही हो गया खत्म
टाइगर कमांड
शास्त्री नगर : कहते है पाखण्डी से तो भगवान भी हाथ जोड़ लेते है। ऐसा ही एक नज़ारा शास्त्री नगर में देखने को मिला जहाँ एक अवैध और जर्जर बिल्डिंग को निगम ने नोटिस भेजकर खाली करने के आदेश दिए तो उस अवैध बिल्डिंग को बचाने के लिए खुद भाजपा के जिला मंत्री मनोज जिंदल ऐसे धरने पर बैठ गए जिसको अनिश्चित कालीन धरने के नाम तो दिया गया लेकिन इस अवैध काम को लेकर दिए जा रहे धरने में कोई भी शामिल नही हुआ उल्टा धरना कुछ ही मिनटों में खत्म हो गया । यह पूरे भारत मे इकलौता इस अनिश्चित कालीन धरना था जिसका कोई भी अस्तित्व था ही नही। अवैध बिल्डिंग को बचाने के लिए जिस ट्रस्ट के नाम लिया गया और जिस रसोई की आड़ ली गयी उस रसोई की बिल्डिंग पर तो कोई नोटिस निगम ने भेजा ही नही?फिर किसी किराए के टट्टू यू ट्यूबर को बुला कर यह पाखंड फैलाने की कोशिस की गई कि जैसे निगम ने कोई युद्ध कर दिया हो। जबकि सच्चाई यह है कि जिस बिल्डिंग ए 76 को निगम ने नोटिस खाली कराने का भेजा है वो वर्ष 2014 से ही निगम की बिल्डिंग विभाग में बुक है जिसको एक ना एक दिन सील करना ही था। और उस बिल्डिंग के मालिक भाजपा के जिला मंत्री मनोज जिंदल नही बल्कि कोई मुकेश जिंदल है। और जिस रसोई को लेकर वो किराए के टट्टू यू ट्यूबर को लेकर अपनी छाती पिट रहे है। उस रसोई का प्रोपर्टी संख्या ए 77 है जबकि नोटिस तो ए 76 का आया है। वो भी मनोज जिंदल के नाम की प्रॉपर्टी नही है। तो फिर भाजपा और भाजपा के मेयर का नाम लेकर इस अवैध बिल्डिंग को बचाने का प्रयास और धरने का पाखंड क्यों? बरहाल आपको बता दे कि जिस पखण्ड को लेकर निगम पार्षद और विधायक को बदनाम करने की साजिश पखण्ड को लेकर की गई है तो आपको बता दे कि इस नोटिस का निगम पार्षद और विधायक से कोई भी लेना देना नही है। बल्कि यह सब झूठ और पाखण्ड अपनी राजनीति और अवैध बिल्डिंग को बचाने को लेकर है। जबकि निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह बिल्डिंग तो 2014 से ही बुक थी जिसको सील किया जाना था जिसकी कार्यवाही अब पूरी हुई है और इसको सील करके आगे की कार्यवाही की जाएगी। आपको बता दे की जिस वर्ष 2014 में यह बिल्डिंग बुक हुई थी उस समय निगम पार्षद भाजपा की थी। बरहाल लोगो मे झूठी खबरे फैलाने में माहिर एक फर्जी किराए के पत्तलकार को बुला कर एक बार फिर शास्त्री नगर में झूठे पखण्ड की खबर फैलाने की नाकाम कोशिस की गई है। आपको यह भी बता दे जिस किराए के टट्टू यू ट्यूबर को यह नही पता कि यह नोटिस किस बिल्डिंग का था उसकी खुद की बिल्डिंग भी अवैध है। और उसने खुद निगम की जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है। यही नही यह यू ट्यूबर खुद दुसरो की बिल्डिंग की फ़ोटो खींचकर उनको ब्लैकमेल करता था। लेकिन आजकल इसका यह धंधा बंद है। यह तो वही बात ही गयी कि चोर मचाये शोर…