अपराधदिल्ली

पार्किंग माफिया की लूट,  बिना रसीद, ज्यादा वसूली

पार्किंग माफिया की लूट,  बिना रसीद, ज्यादा वसूली

इंद्र वशिष्ठ

दिल्ली में पार्किंग ठेकेदारों की लूट/वसूली और दादागिरी से लोग त्रस्त हैं। पुलिस और नगर निगम कर्मियों  की मिलीभगत के कारण पार्किंग ठेकेदार निरंकुश हो गए हैं।
पार्किंग में ठेकेदारों की मनमानी चल रही है।  पार्किंग शुल्क तो निर्धारित राशि से ज्यादा वसूला ही जा रहा है, वाहन मालिक को रसीद भी नहीं दी जाती। ऐसे में गाड़ी चोरी होने की जिम्मेदारी भी वाहन मालिक की हो जाती है। वहीं ज्यादा शुल्क वसूली की शिकायत करने पर पार्किंग कर्मचारी वाहन मालिक से लड़ने को तैयार हो जाते हैं।
नया बाजार, पीली कोठी –
पुरानी दिल्ली के नया बाजार, पीली कोठी इलाके में भी पार्किंग ठेकेदार द्वारा लोगों से पार्किंग के ज्यादा पैसे वसूलने और रसीद भी नहीं देने का मामला सामने आया है
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं एनडीएमसी  के सेवानिवृत्त सीएमओ डाक्टर अनिल बंसल ने बताया कि पीली कोठी ,नया बाजार स्थित एमसीडी पार्किंग का नया ठेकेदार लोगों से एमसीडी द्वारा निर्धारित शुल्क से ज्यादा पैसा वसूल रहा है और रसीद भी नहीं देता है।
एमसीडी के अनुसार कार का शुल्क शुरुआती एक घंटे का बीस रुपए और उसके बाद के घंटों के दस रुपए प्रति घंटा शुल्क निर्धारित है। लेकिन पार्किंग ठेकेदार सौ रुपए ही वसूलता है, वह कहता है कि तुम कार एक घंटा खड़ी करो या शाम तक करो, हमारा तो रेट सौ रुपए ही है। रसीद मांगने पर कहता है कि छपने गई हैं। महीने भर के लिए निर्धारित शुल्क 1500 रुपए है। लेकिन ठेकेदार दो हजार रुपए  महीना या सौ रुपए रोज मांगता है और उसकी भी रसीद नहीं देता।
इसके पहले भी जो ठेकेदार था वह भी रसीद नहीं देता था।
पार्किंग स्थल पर एमसीडी द्वारा निर्धारित शुल्क का बोर्ड लगाना अनिवार्य है लेकिन यहां  ठेकेदार ने बोर्ड को हटा कर, एक कोने में छिपा कर रख दिया है।
दिल्ली में  इसी तरह अनेक स्थानों पर पार्किंग ठेकेदार पैसे की रसीद नहीं देते और ज्यादा पैसे  वसूलते हैं।
पुलिस की नाक के नीचे-
डाक्टर अनिल बंसल ने बताया कि उन्होंने 16 दिसंबर को पार्किंग स्थल के पास ही स्थित लाहौरी गेट थाने की  पुलिस चौकी/बूथ पर इस मामले की शिकायत की।  पुलिसकर्मी ने पार्किंग वाले से कहा कि अगर किसी की गाड़ी चोरी हो गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? पुलिसकर्मी ने पार्किंग वाले को डांट कर छोड़ दिया। तीस हजारी अदालत के बाहर भी पार्किंग ठेकेदार रसीद नहीं देता।
पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान-
दिल्ली के प्रमुख बाजारों/ स्थानों के पार्किंग स्थलों पर ट्रैफिक/थाने के पुलिससकर्मी तैनात रहते है। इसके बावजूद पार्किंग ठेकेदारों द्वारा मनमानी वसूली, रसीद न देना और दादागिरी करने से पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग जाता है।
सच्चाई यह है कि पुलिस की मिलीभगत के कारण ही ठेकेदार पार्किंग के लिए आवंटित स्थान/सड़क से ज्यादा स्थान/सड़क घेर कर वाहनों की अवैध पार्किंग करते हैं। पुलिस और नगर निगम कर्मियों की मिलीभगत के बिना पार्किंग ठेकेदार मनमानी वसूली कर ही नहीं सकते।

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