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कृष्णा तेरी यमुना मैली होती गयी, सिस्टम का पाप धोते-धोते…

कृष्णा तेरी यमुना मैली होती गयी, सिस्टम का पाप धोते-धोते…
– योगेश भारद्वाज
नई दिल्ली : सनातन संस्कृति और लोगो की आस्था की केंद्र यमुना अपनी बदहाली की यह तस्वीर और व्यथा सुन ना पाए। कि उसके नाम पर सिस्टम कितना फेल हो चुका है। यह अब किसी से छुपा नही रहा है। यमुना एक्शन प्लान पर पूर्वर्ती सरकारों से लेकर अब वर्तमान सरकार तक लाखो करोड़ो का एक्शन प्लान लेकर सिर्फ लकीरे ही पीट रही है। और आप और हम सिर्फ आस्था के नाम पर सिर्फ दोष दिए जा रहे। पार्टियों ने एक दुसरो के ऊपर सिर्फ ठीकरा फोड़ने का ही काम किया है। ऐसा नही है इसमें सिर्फ केजरीवाल सरकार ही दोषी हो। इसमे केंद्र की भाजपा सरकार से लेकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश आ तक कि सरकारें भी दोषी है। और सबसे ज्यादा दोष उस सिस्टम का जो इनके अधीन काम करता है। बरहाल पिछले 15 सालों से यमुना एक्शन प्लान चल रहे है। और हम सभी आज तक एक्शन का ही इंतज़ार कर रहे। जबकि कृष्ण की यमुना मैली होती जा रही है। छठ पर्व पर यमुना के प्रदूषण पर भारी यह आस्था हम सभी को सोचने पर मजबूर कर रही है। कि आखिर यमुना सिस्टम का कितना पाप और धोती रहेगी? आज आस्था और विश्वास का पर्व छठ आज ‘नहाय-खाय’ के साथ ही शुरू हो गया है। इसी के साथ दिल्ली में छठ को घाट पर मनाने की राजनीति भी गर्मा गई है। कोरोना के खतरे को देखते हुए जहां दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने यमुना के घाटों पर छठ पर्व मनाने पर रोक लगाई हुई है, वहीं भारतीय जनता पार्टी घाटों पर छठ मनाने के लिए इजाजत देने की बात कह रही है। विपक्ष ने दिल्ली सरकार पर लोगों की आस्था से खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया है। इन सब सियासी और धार्मिक उठापटक के बीच यमुना नदी का जो हाल सामने आया है, वह सोच में डाल देता है।

क्या है यमुना एक्शन प्लान…
यमुना नदी पवित्र गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है। यमुना नदी को भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है और इसका उपयोग लाखों लोग पीने के पानी के अलावा स्नान और सिंचाई के लिए स्रोत के रूप में करते हैं। हाल के वर्षों में यह विभिन्न कारणों से भारी प्रदूषित हो गई है जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण-प्रणाली की जैव-विविधता को भी प्रभावित कर रहे हैं। नदी के प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है अनधिकृत घरेलू अपशिष्ट जल और अन्य कचरे का नदी के किनारे स्थित शहरों से नदी में गिरना। नदी प्रदूषण को रोकने के लिए, भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा हरियाणा के 12 शहरों, उत्तर प्रदेश के 8 शहरों और दिल्ली में एक कार्य योजना के तहत सफाई नदी के कुछ उपाय किए गए हैं। पर्यावरण और वन मंत्रालय का राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय (NRCD) यमुना एक्शन प्लान या YAP को 1993 से लागू किया है। ‘जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन’ (JBIC) उपरोक्त 21 में से 15 में यमुना एक्शन प्लान में सक्रिय भागीदार है। 700 करोड़ रुपये भारत सरकार शेष 6 शहरों के लिए धन मुहैया करा रही है।
यमुना एक्शन प्लान के तहत तैयार की गई प्राथमिक योजनाएं इस प्रकार हैं
सीवरेज कंपोनेंट इंटरसेप्शन और डायवर्सन वर्क्स में इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन मेन पंपिंग स्टेशन और राइजिंग-मेन्स सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट या एसटीपी नॉन सीवरेज कंपोनेंट कम लागत की लागत या LCS शामिल हैं।
वृक्षारोपण सार्वजनिक भागीदारी स्नान घाट / रिवर फ्रंट डेवलपमेंट उत्तर प्रदेश जल निगम (UPJN) उत्तर प्रदेश में, हरियाणा में हरियाणा पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (HPHED), दिल्ली जल बोर्ड (DJB) और दिल्ली में दिल्ली नगर निगम (MCD) सभी लागू कर रहे हैं ये राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय (NRCD) के समन्वय के तहत काम करते हैं।
हर दिन योजनाओं की प्रगति की निगरानी के लिए TEC-DCL कंसोर्टियम या इंडो-जापानी सलाहकारों को परियोजना सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है।

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