पहली बार 6 जिलों की कमान महिला आईपीएस अफसरों के हाथों में।
स्पेशल सेल में डीसीपी के पद पर पहली बार आईपीएस नियुक्त।
इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस में बड़े स्तर पर आईपीएस और दानिप्स अफसरों के पदों में फेर बदल किया गया है। स्पेशल कमिश्नर स्तर के 11अफसरों के पदों में फेर बदल किया गया है। जबकि 7 जिलों में नए आईपीएस अफसरों को डीसीपी के पद पर तैनात किया गया है। इनमें से तीन महिला आईपीएस अफसर हैं। कुल चालीस अफसरों के पदों में फेरबदल किया गया है। इनमें से तीस आईपीएस और दस दानिप्स सेवा के अफसर हैं।
स्पेशल कमिश्नर कानून एवं व्यवस्था का एक पद खत्म –
दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर, कानून एवं व्यवस्था के तीन पदों में से एक को समाप्त कर दिया गया है। पहले दक्षिण, पश्चिम और पूर्वी जोन थे। अब इसे दो डिवीजन जोन में बांट दिया गया है। पूर्वी ,उत्तरी और मध्य रेंज को डिवीजन जोन-एक में शामिल किया गया है, जिसमें 1990 बैच के आईपीएस स्पेशल कमिश्नर दीपेंद्र पाठक को नियुक्त किया गया है।
जोन-दो में नई दिल्ली, दक्षिण और पश्चिम रेंज को शामिल किया गया है। जिसमे स्पेशल कमिश्नर सतीश गोलछा को तैनात किया गया है।
गोलछा पर कृपा बरस रही हैं।-
1991 बैच के आईपीएस सतीश गोलछा को गृह मंत्री/उप-राज्यपाल/ सत्ताधारी नेताओं की कृपा प्राप्त है वरना उनमें ऐसे क्या सुरखाब के पर लगे हैं कि जूनियर अफसर होने के बावजूद वह करीब दो साल से स्पेशल कमिश्नर, कानून एवं व्यवस्था के पद पर ही जमे हुए हैं। सतीश गोलछा इसके पहले दक्षिण जोन और उत्तरी रेंज में इसी पद पर तैनात थे। इसके पहले वह आर्थिक अपराध शाखा में भी स्पेशल कमिश्नर के पद पर रहे हैं।
कृपा से वंचित हटाए गए।-
दूसरी ओर 1990 बैच के आईपीएस संजय सिंह को पश्चिम जोन से हटा कर स्पेशल कमिश्नर लाइसेंसिंग एंड लीगल डिवीजन के पद पर तैनात कर दिया गया है। वरिष्ठ आईपीएस को एक साल मेंं ही पश्चिम जोन से हटा देने और जूनियर आईपीएस अफसर के जमे रहने से गृह मंत्रालय की ट्रांसफर पोस्टिंग नीति पर सवालिया निशान लग जाते हैं।
तीस हजारी अदालत में साल 2019 में वकीलों द्वारा पुलिसवालों पर हमला कर उनकी बुरी तरह पिटाई की गई। इसके बाद संजय सिंह को बलि का बकरा बना कर स्पेशल कमिश्नर, कानून एवं व्यवस्था के पद से हटा दिया गया था। उस पद पर संजय सिंह तीन- चार महीने ही रहे थे। जबकि सही मायने में उस समय तत्कालीन नाकारा कमिश्नर अमूल्य पटनायक और उत्तर जिले की नाकाबिल, संवेदनहीन डीसीपी मोनिका भारद्वाज को हटाया जाना चाहिए था। यहीं नहीं उस बेचारे एडिशनल डीसीपी हरेंद्र सिंह को भी हटा दिया गया, जिसकी वकीलों ने जमीन पर गिरा कर जमकर पिटाई की थी।
पहले एक ही पद था-
मध्य जोन के कानून एवं व्यवस्था के स्पेशल कमिश्नर राजेश खुराना (1994) का तबादला
इंटेलिजेंस डिवीजन के पद पर किया गया है।
दिल्ली पुलिस में पहले स्पेशल कमिश्नर, कानून एवं व्यवस्था का केवल एक पद ही होता था। उसके बाद इनकी संख्या दो कर दी गई और पिछले साल यह संख्या बढ़ा कर तीन की गई थी। अब फिर घटा कर दो पद कर दिए गए हैं।
सात जिलों में नए डीसीपी।
महिला आईपीएस अफसर ईशा पांडे को दक्षिण पूर्वी जिला, श्वेता चौहान को मध्य जिला ,बेनिटा मैरी जैकर को दक्षिण जिला, सागर सिंंह कलसी को उत्तर जिला, गौरव शर्मा को दक्षिण-पश्चिम, बृजेेंंदर कुमार यादव को बाहरी-उत्तरी जिला और शंकर चौधरी को द्वारका जिला के डीसीपी के पद पर तैनात किया गया है।
कृपा बरसी-
गौरव शर्मा को दूसरी बार जिले का डीसीपी बनाया गया है। इसके पहले बाहरी-उत्तरी जिले के डीसीपी के पद से उन्हें हटा कर सिक्योरिटी का डीसीपी बना दिया गया था।
6 जिलों में महिला डीसीपी-
तीन और महिला आईपीएस अफसरों को जिला डीसीपी के पद पर तैनात करने से अब कुल 15 जिलों में महिला डीसीपी की संख्या बढ़ कर 6 हो गई है। पूर्वी जिले में प्रियंका कश्यप, पश्चिम जिले में उर्विजा गोयल और उत्तर-पश्चिम जिले में उषा रंगनानी पहले से ही तैनात हैं।
पहली बार तीन आईपीएस स्पेशल सेल में डीसीपी –
आतंकवाद से निपटने के लिए बनाए गए स्पेशल सेल में तीन आईपीएस अफसरों को डीसीपी के पद पर तैनात किया गया है। मध्य जिला के डीसीपी जसमीत सिंह, दक्षिण-पश्चिम जिले के डीसीपी इंगित प्रताप सिंह और बाहरी-उत्तरी जिले के डीसीपी राजीव रंजन को स्पेशल सेल के महत्वपूर्ण और संवेदनशील डीसीपी के पद पर तैनात किया गया है।
पिछले तीन दशक मेंं पहली बार स्पेशल सेल में डीसीपी के पद पर आईपीएस अफसर को तैनात किया गया है।
पहले स्पेशल सेल में दानिप्स काडर के अफसर ही तैनात किए जाते रहे हैं।
पहले स्पेशल ब्रांच आतंकवाद से निपटने की जिम्मेदारी निभाती थी बाद में स्पेशल सेल के नाम से अलग विभाग बना दिया गया।
स्पेशल सेल बदनाम हुआ-
हाल के दिनों में स्पेशल सेल की अनेक करतूतें उजागर होने के कारण पुलिस की बहुत बदनामी हुई है। स्पेशल सेल ने बदमाशों के लिए हवालात को मयखाना बना कर खाकी को खाक में मिला दिया। इसके अलावा छात्रों को देशद्रोही, आतंकी और दंगाई बता कर जेल में डाल दिया। अनेक मामलों में अदालत में पुलिस की पोल खुल गई।
लोदी कालोनी स्थित स्पेशल सेल सुशील पहलवान का आत्म समर्पण कराने और सुशील के साथ फोटो खिंचवाने के कारण भी विवादों में रहा है।
डीसीपी का इतनी जल्दी तबादला-
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना द्वारा बनाए गए कमिश्नर सचिवालय में 5 अगस्त को ही नियुक्त किए गए डीसीपी कमल पाल सिंह मल्होत्रा को हटा दिया गया है। उनके स्थान पर साइबर सेल के डीसीपी अन्येष रॉय को नियुक्त किया गया है। कमलपाल का तबादला साइबर सेल में किया गया है।
नई जिम्मेदारी-
दक्षिण जिला के डीसीपी अतुल ठाकुर को पुलिस मुख्यालय में डीसीपी- एक,दक्षिण पूर्वी जिला के डीसीपी राजेंद्र प्रसाद मीणा को मुख्यालय में डीसीपी-दो और द्वारका के डीसीपी संतोष कुमार मीणा को प्रोवीजन एंड लाइन के डीसीपी के पद पर तैनात किया गया है।
द्वारका जिले से तबादले के साथ ही तीन कंप्यूटर अवैध रुप से ले जाने वाले उत्तर जिले के डीसीपी एंटो अल्फोंस केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर चले गए हैंं।
वीनू बंसल फिर हटाया गया-
ट्रैफिक पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त वीनू बंसल का तबादला पुलिस नियंत्रण कक्ष के अतिरिक्त आयुक्त के पद पर किया गया है।
उल्लेखनीय है कि वीनू बंसल को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उत्तर पूर्वी जिला पुलिस उपायुक्त के पद से हटाया गया था।
इन स्पेशल कमिश्नर पर कृपा कब बरसेगी ?
आईपीएस मुक्तेश चंद्र (1988) को स्पेशल कमिश्नर ऑपरेशंस और लाइंसेंसिंग के स्थान पर स्पेशल कमिश्नर टेक्नोलॉजी और प्रोजेक्ट इम्प्लिमेंटेशन डिविजन के साथ ही स्पेशल कमिश्नर कम्युनिटी पुलिसिंग और मीडिया सेल डिविजन का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है।
आईपीएस एस. सुंदरी नंदा (1988), स्पेशल कमिश्नर पुलिस मुख्यालय और जीए के स्थान पर स्पेशल कमिश्नर मानव संसाधन विभाग (पर्सनल मैनेजमेंट+ ट्रेनिंग+वेलफेयर) की जिम्मेदारी दी गई है।
आईपीएस नुजहत हसन (1991) स्पेशल कमिश्नर महिला सुरक्षा, एसपीयूडब्लूएसी एवं एसपीयूएनईआर को स्पेशल कमिश्नर विजिलेंस और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेफ्टी डिविजन की जिम्मेदारी दी गई है।
आईपीएस वीरेंदर सिंह चहल (1991), स्पेशल कमिश्नर ट्रेनिंग एंड ट्रांसपोर्ट को स्पेशल कमिश्नर ट्रैफिक मैनेजमेंट डिवीजन लगाया गया है।
मोदी के मन भाए कमिश्नर पद पाए-
इन चारों अफसरों को दरकिनार कर जूनियर आईपीएस को कानून-व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किए जाने से पता चलता है कि बिना कृपा महत्वपूर्ण पद नहीं मिलता। वैसे कृपा से पद मिलने का सबसे बड़ा उदाहरण तो कमिश्नर राकेश अस्थाना ही हैं। मोदी की कृपा से ही तो रिटायरमेंट से ठीक चार दिन पहले गुजरात काडर के आईपीएस राकेश अस्थाना को सेवा विस्तार देकर पुलिस कमिश्नर बना दिया गया। आईपीएस के अरुणाचल, गोवा,मिजोरम केंद्र शासित प्रदेश काडर के 1987 और 1988 बैच के आईपीएस को दरकिनार कर दिया गया।
आईपीएस अधिकारी रॉबिन हिबू (1993), स्पेशल कमिश्नर, सशस्त्र पुलिस को स्पेशल कमिश्नर सशस्त्र पुलिस डिवीजन और प्रबंध निदेशक, दिल्ली पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के पद पर तैनात किया गया है।
आईपीएस आई.डी. शुक्ला (1995), स्पेशल कमिश्नर सिक्योरिटी को अब स्पेशल कमिश्नर प्रोटेक्टिव सिक्योरिटी डिविजन की जिम्मेदारी दी गई है।
आईपीएस डेविड लालरिनसंग (1995), स्पेशल कमिश्नर पी एंड एल और वेलफेयर को स्पेशल कमिश्नर प्रोविजनिंग एंड फाइनेंसिस डिवीजन नोडल अधिकारी/एसपीयूएनईआर बनाया गया है।