दिल्ली निगम चुनावों में सीट रोटेशन की सुगबुगाहट के बीच नेताओं में बेचैनी
– शास्त्री नगर वार्ड की सीट पर दिसम्बर- जनवरी में हो सकता है फैसला
टाइगर कमांड
अप्रैल 2022 में होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनाव में अब बस कुछ समय ही बचा है। जिसको लेकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं के बीच बेचैनी घर करती जा रही। बेचैनी सबसे ज्यादा सीट बदलने को लेकर हो रही है। हलाकि कुछ कतिथ न्यूज़ पेपर फेक न्यूज़ के चलते इस माहौल को गर्म करने की कोशिस कर रहें हैं। लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार यह सब न्यूज़ अभी तक फेंक है। फिलहाल दिसम्बर जनवरी तक किसी भी सीट का रोटेसन नहीं हो रहा। यदि जरूरत भी हुई तो यह परिवर्तन दिसम्बर से पहले तो नहीं होगा। बरहाल यदि सीट रोटेशन हुई तो बहुत से नेताओं के सियासी भविष्य पर ग्रहण भी लगा सकते हैं। यह वे नेता हैं जो पार्षदी पाने के फेर में इन दिनों धड़ल्ले से अपनी पार्टी छोड़ नई का दामन थामने में लगे हैं। बेशक ये नेता दूसरी पार्टी में जाने से पहले अपनी टिकट को लेकर पक्का आश्वासन ले रहे हैं, लेकिन अगर सीट का प्रोफाइल ही बदल गया तो आश्वासन भी किस काम का! फिर न नेताजी के दावे में मजबूती रह जाएगी और न ही नई पार्टी पर वायदा निभाने का दबाव।
दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2011 के अनुसार नगर निगम चुनाव से पहले सभी 272 सीटों का रोटेशन करने का प्रवधान है। चुनाव लड़ने में सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न फार्मूलों के तहत रोटेशन की प्रक्रिया पर काम होता है। इस प्रक्रिया में किसी भी सीट का प्रोफाइल बदल सकता है। अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षित सीट इसी वर्ग में महिला के लिए आरक्षित हो सकती है तो सामान्य श्रेणी की कोई सीट कहीं महिला के लिए आरक्षित की जा सकती है और कहीं पूर्व में महिला के लिए आरक्षित सीट को सामान्य में लाया जा सकता है।
जानकारी के मुताबिक पिछली बार अप्रैल 2017 में हुए निगम चुनावों के लिए सीटों के रोटेशन की अधिसूचना छह फरवरी 2017 को प्रकाशित हुई थी। इस बार भी जनवरी 2022 में मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद ही इसकी घोषणा किए जाने की संभावना है कि कौन सी सीट अपने पूर्ववर्ती स्वरूप में रहेगी और किन किन सीटों का प्रोफाइल बदल जाएगा। इस आशय की घोषणा और अधिसूचना के बाद ही विभिन्न्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा प्रत्याशी चयन की भूमिका को अंतिम रूप दिया जाएगा।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो बहुत से नेता दूसरे दलों में इसीलिए जा रहे हैं कि उस पार्टी की टिकट पर पार्षदी सुनिश्चित हो जाएगी। लेकिन रोटेशन की यह प्रक्रिया उनके अरमानों पर पानी भी फेर सकती है। कारण, जिस पार्टी में वे लंबे समय से हैं, वहां तो रोटेशन के बाद भी उनके किसी परिजन को ही टिकट मिल सकती है लेकिन दूसरी पार्टी में इसकी कोई गारंटी नहीं ली जा सकती। बताया जाता है कि पार्टी बदलने की सबसे ज्यादा होड़ कांग्रेसियों में लगी है और अभी तक जो कांग्रेसी पार्टी को अलविदा कहकर गए हैं, उनमें से बहुतों की सीट इस बार रोटेशन में बदलने की उम्मीद है।