गांधीनगर : लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला, जो 25 से 26 नवंबर 2020 तक केवड़िया में होने वाले पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज अहमदाबाद पहुंचे हैं, ने स्वर्णिम संकुल, गांधीनगर में पत्रकारों से मुलाकात की।
बिरला ने बताया कि सम्मेलन का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दिनांक 25 नवम्बर 2020 को प्रातः 11 बजे करेंगे। कार्यक्रम में भारत के उपराष्ट्रपति तथा राज्य सभा के सभापति एम. वेंकैया नायडु भी उपस्थित रहेंगे। साथ ही, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित कई गणमान्य अतिथि भी सम्मेलन में शिरकत करेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि सम्मेलन में देश की सभी विधान सभाओं और विधान परिषदों के पीठासीन अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है। 27 विधान सभाओं व विधान परिषदों के पीठासीन अधिकारियों की सम्मेलन में भाग लेने की पुष्टि हो चुकी है। सम्मेलन में सभी राज्यों के विधानमंडलों के सचिवों तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के भी शामिल होने की सम्भावना है।
बिरला ने कहा कि 26 नवम्बर का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष को पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के शताब्दी वर्ष के रूप में भी मनाया जा रहा है।
पीठासीन अधिकारियों के अखिल भारतीय सम्मेलन की शुरूआत वर्ष 1921 में हुई थी। विगत वर्षों में यह सम्मेलन लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने हेतु नए अनुभवों और विचारों को साझा करने के लिए एक उपयुक्त मंच सिद्ध हुआ है।
इस वर्ष के सम्मेलन के विषय – ” विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के मध्य सामंजस्यपूर्ण समन्वय : एक जीवंत लोकतंत्र का मार्ग” – का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी भारत के लोकतंत्र को सुदृढ़ और अधिक प्रभावी बनाने हेतु लोकतंत्र के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों के बीच बेहतर सहयोग और समन्वय की आवश्यकता पर विचार विमर्श करेंगे।
लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करेंगे।
बिरला ने यह बताया कि 71 वें संविधान दिवस के अवसर पर पीठासीन अधिकारी विधानमंडलों को और अधिक जवाबदेह बनाने की शपथ लेंगे, जिससे संवैधानिक मूल्यों के अनुसार उन्हें सुदृढ़ और सशक्त बनाने में सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त, सम्मेलन में आए शिष्टमंडल के सभी सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय संविधान की प्रस्तावना को भी पढ़ेंगे।
यह टिप्पणी करते हुए कि हमारा संविधान हमारे लोकतंत्र को सुदृढ़ करता है और इसके जरिए संसदीय लोकतंत्र में लोगों की आस्था को मजबूती प्रदान करता है, बिरला ने कहा कि विधानमंडल आम जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाने के लिए सर्वोच्च मंच है। इस रूप में जनप्रतिनिधियों की अपने-अपने सदनों में जनता की भावनाओं को व्यक्त करने की महती जिम्मेदारी होती है। श्री बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि विधानमंडलों में होने वाली चर्चाएं लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाती हैं और इस कारण यह आवश्यक हो जाता है कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से बिना किसी व्यवधान के चलती रहे।
बिरला ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और पीठासीन अधिकारियों ने सम्मेलन के दौरान अपने विचार व्यक्त करने की सहमति दी ।
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