‘मुंशी प्रेमचंद अवार्ड’ से नवाजे गये वरिष्ठ पत्रकार केपी मलिक
पत्रकार केपी मलिक को ‘मुंशी प्रेमचंद अवार्ड’
वरिष्ठ संवाददाता
नई दिल्ली। आईटीओ स्थित पंडित जवाहर लाल नेहरू यूथ सेंटर में आयोजित दार्शनिक एवं विश्वविख्यात उर्दू-फारसी के मशहूर
शायर अल्लामा इक़बाल की जन्मतिथि 8 नवम्बर को विश्व उर्दू दिवस के अवसर पर देश के प्रतिष्ठित हिंदी समाचार पत्र दैनिक भास्कर के राजनीतिक संपादक के पी मलिक को मुंशी प्रेमचंद अवार्ड से नवाजा गया।
पिछले दिनों अवार्ड्स की घोषणा करने के लिए आयोजन की समिति की बैठक प्रो अब्दुल हक की अध्यक्षता में नई दिल्ली स्थित कार्यालय में आयोजित की गई। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 1997 से यूनाइटेड मुस्लिम ऑफ इंडिया और उर्दू डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन के संयुक्त तत्वावधान में उर्दू दिवस मनाया जा रहा है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उर्दू का संरक्षण और संवर्धन एक राष्ट्रीय मुद्दा है। बैठक में परंपरा के अनुसार उर्दू भाषा, साहित्य और पत्रकारिता के अलावा राष्ट्र और देश हित में उल्लेखनीय काम करने वाले कुछ नामों का चयन किया गया। अन्य लोगों के अलावा, पत्रकारिता के लिए मुंशी प्रेम चंद पुरस्कार के लिए ‘दैनिक भास्कर’ के ‘के पी मलिक’ को पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया।
बता दें कि के.पी. मलिक करीब 28 साल से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। दूरदर्शन से लेकर बीबीसी, नेटवर्क18, ज़ी न्यूज़, सहारा समय, हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप और उसके बाद ‘दैनिक भास्कर’ में राजनीतिक संपादक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में उनकी अच्छी पैठ है। लगभग दो दशकों से अधिक राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले तमाम राजनीतिक हालातों पर पैनी नजर के साथ देश की संसद को कवर करते रहे हैं। 2001 के ऐतिहासिक संसद हमले को कवर करने वाले एवं उस घटना के साक्षात गवाह हैं।
हमेशा पत्रकारों के हितों की लड़ाई लड़ने में आगे रहने वाले हैं।
फिलहाल पत्रकारों की प्रतिष्ठित संस्था ‘नेशनल यूनियन जर्नलिस्टस (इंडिया)’ से संबर्द्ध ‘दिल्ली पत्रकार संघ’ के महासचिव, ‘प्रेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ के कार्यकारी सदस्य एवं ‘एंटी करोना टास्क फोर्स’ के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। कोरोना काल में हुई तालाबंदी में इन्होंने तमाम पत्रकारों की समस्याओं को केंद्र सरकार एवं दिल्ली सरकार के सामने बड़े ही जोरदार तरीके से उठाने का सराहनीय कार्य किया है। इसके अलावा ये लगातार देश के किसानों और सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से लिखते रहते हैं।
पश्चिम उत्तर प्रदेश के शामली जिले के छोटे से गाँव आदमपुर में संपन्न परिवार में जन्मे के पी मलिक ने हिंदुस्तान भर में शामली का गौरव बढ़ाने का काम किया है। शामली से चलकर दूरदर्शन, बीबीसी, जी न्यूज, सहारा समय और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे बड़े संस्थानों में गए मलिक आज देश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित हिंदी समाचार पत्र दैनिक भास्कर में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड संस्करणों में सेवाएं दे रहे हैं।
अवार्ड मिलने के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए केपी मलिक ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कहानियों और उपन्यासों के जरिए ग्रामीण समस्याओं को राष्ट्रीय मुद्दा बनाना। किसानों, कामगारों, मजदूरों और निम्न वर्ग की पीड़ा का संभ्रांत समाज को अहसास कराया और उनके साथ अच्छे बर्ताव की प्रेरणा दी। जबकि दबे-कुचले वर्गों को समाज में सिर सम्मान और बराबरी की लड़ाई का हौसला दिया।
लेकिन आज लगभग एक सदी बीतने के बाद भी गांवों की दशा जस की तस है। किसानों-मज़दूरों की दशा में कोई खास बदलाव नहीं आ सका है। आज आधुनिक युग चल रहा है और आज भी लाखों किसानों-मज़दूरों के तन पर साबुत कपड़े नहीं हैं, पैरों में चप्पल तक नहीं हैं। इससे मन द्रवित होता है। आज हमें मुंशी प्रेमचंद की उस मुहिम को आगे बढ़ाने की उतनी ही ज़रूरत है, जितनी उस जमाने में थी। मैं भी उसी लड़ाई और बदलाव की मुहिम का एक छोटा-सा सिपाही हूँ।