अपराध

गांजा बेचने वाले जहांगीर पुरी थाने के 4 पुलिस वाले नौकरी से बर्खास्त, ACP, SHO की भूमिका पर सवालिया निशान

इंद्र वशिष्ठ
पुलिस यानी रक्षक, लेकिन रक्षक के भेष मेंं छिपे भक्षकों की पैसे की भूख जब उगाही और रिश्वत से भी नहीं मिटती तो वे अपराध करने मेंं अपराधियों को पीछे भी छोड़ देते है।

शराब और मादक पदार्थ तस्करों से पुलिस अफसरों तक की मिलीभगत और पुलिस वालों द्वारा हत्या और लूटपाट करने के मामले लगातार सामने आ रहे है।

एक एडशिनल डीसीपी के खिलाफ तो सीबीआई ने जाली कागजात के आधार पर पुलिस अफसर बनने का ममला दर्ज किया है।

 जागो IPS जागो-

 इन मामलों से आईपीएस अफसरों की कार्यप्रणाली/ काबिलियत/ भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है। लोग पुलिस वालों के खिलाफ आला अफसरों तक से शिकायत करते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इस वजह से ही पुलिस मेंं भ्रष्टाचार और अपराध दिनोंदिन बढ रहा है। निरंकुश पुलिस वाले आम लोगों से सीधे मुंह बात तक नहीं करते हैं।

गिरफ्तार नहीं किया-

जहांगीर पुरी थाने के चार पुलिसवाले तो नशा बेचने वाले सौदागर ही बन गए। लेकिन इनको अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।

 गांजा बेचने वाले सब-इंस्पेक्टर शेखर खान,सब- इंस्पेक्टर सपन,हवलदार सोनू राठी और हरफूल मीणा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। एस एच ओ सर्वेश कुमार को लाइन हाजिर कर दिया गया है।

दिल्ली पुलिस के सतर्कता विभाग द्वारा इनके

के खिलाफ खिलाफ एनडीपीएस एक्ट,भ्रष्टाचार निरोधक कानून, जबरन वसूली और सरकारी अफसर द्वारा अमानत मेंं ख्यानत की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

एसीपी, एसएचओ की भूमिका पर सवाल-

इस मामले में  एसीपी संजय दराल और एस एच ओ सर्वेश कुमार की भूमिका पर सवालिया लग गया है।

सूत्रों के अनुसार एसीपी की मौजूदगी में गांजा बराबर हुआ था।

163 किलो गांजा पुलिस ने बेच दिया-

जहांगीर पुरी थाने की पुलिस  ने 11 सितंबर को 164 किलो गांजा जब्त किया था। पुलिस ने इस मामले मेंं अनिल को गिरफ्तार किया था। लेकिन पुलिस ने उसके पास से सिर्फ 920 ग्राम गांजा ही बरामद दिखाया जिसके कारण अनिल को थाने में ही जमानत पर छोड़ दिया गया।

खाकी को खाक मेंं मिलाया-

खाकी को खाक मेंं मिलाने वाले इन वर्दीधारी गुंडों की करतूत का पता चलते ही पुलिस मेंं हडकंप मच गया।

उत्तर पश्चिम जिला के एसीपी (आपरेशन) मनोज पंत द्वारा इस मामले की जांच की गई।

 जांच में पता चला कि गांजा बरामद 164 किलो हुआ था लेकिन 163 किलो गांजा पुलिस वालों ने खुद ही नशे के किसी दूसरे सौदागर को बेच दिया। यह भी पता चला कि अनिल की मां से इन पुलिस वालों ने गांजा कम बरामद दिखाने और जमानत योग्य मामला बनाने के एवज में एक लाख पचास हजार रुपए वसूले थे।

एसीपी के सामने गांजा बरामद –

अनिल को गिरफ्तार करने की एफआईआर में  लिखा है कि एसीपी संजय दराल बरामदगी के समय मौजूद थे। एस एच ओ सर्वेश कुमार ने गांजे के बारे मेंं मिली मुखबिरी की सूचना एसीपी को दी थी। एस एच ओ गांजे की बरामदगी के समय वहां मौजूद नहीं था। लेकिन एस एच ओ  के नाते मालखाने मेंं गांजा उसके दस्तख्त से ही जमा हुआ था। सर्वेश कुमार 8 सितंबर को ही एस एच ओ के पद पर तैनात किया गया था।

एनडीपीएस कानून के अनुसार है कि नशीले पदार्थों की बरामदगी के समय एसीपी मौजूद होना चाहिए।

पुलिस वालों द्वारा इस साल किए गए अपराध-

FIR के लिए प्रधानमंत्री से गुहार लगानी पडी –

भलस्वा थाने के तत्कालीन एस एच ओ मनोज त्यागी के खिलाफ करोड़ों की जमीन कब्जा करने के आरोप में इसी थाने में अब जाकर मुकदमा दर्ज किया गया है।

इस मामले में शिकायतकर्ता सुजीत कुमार का आरोप है कि इस इंस्पेक्टर मनोज त्यागी के खिलाफ आउटर नार्थ जिले के डीसीपी गौरव शर्मा  से लेकर पुलिस मुख्यालय में आला अफसरों तक शिकायत की गई थी मगर कही भी उसकी सुनवाई नहीं हुई।

आरोप है कि इंस्पेक्टर उसके सौ गज के प्लाट पर तरह तरह के हथकंडे अपना कर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है।

इसके बाद उसने दस्तावेजों के साथ प्रधानमंत्री को शिकायत भेजी। प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।

एडशिनल डीसीपी पर जालसाजी का मुकदमा-

पूर्वी जिले के एडशिनल डीसीपी संजय सहरावत के खिलाफ सीबीआई ने 7 सितंबर 2020 को जालसाजी, धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। आरोप है कि श्रम मंत्रालय में क्लर्क रह चुके संजय सहरावत ने पुलिस अफसर बनने के लिए किसी दूसरे का जन्म प्रमाणपत्र इस्तेमाल किया था। सीबीआई ने शिकायत मिलने के ढाई साल बाद मामला दर्ज किया है।

सब-इंस्पेक्टर ने महिला दोस्त और ससुर को गोली मारी –

लाहौरी गेट थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर संदीप दहिया ने 27 सितंबर को अलीपुर थाना इलाके में सर्विस पिस्तौल से अपनी महिला दोस्त को गोलियां मार दी और सडक़ पर फेंक कर भाग गया। महिला की हालत गंभीर बताई जाती है।

इसके बाद  28 सितंबर को उसने रोहतक मेंं अपने ससुर की गोली मारकर हत्या कर दी।

हवलदार ने गोली मारकर हत्या की-

बुध विहार इलाके में 20अगस्त को हवलदार सुरेंद्र ने अपने दोस्त दीपक अहलावत की गोली मारकर हत्या कर दी।

लुटेरे पुलिस वाले-

8 अगस्त – वसंत कुंज थाना इलाके में नवीन सहरावत के कॉल सेंटर में घुस कर पुलिस वालों ने लूटपाट की कोशिश की लेकिन नवीन सहरावत और उसके कर्मचारियों ने उनको पकड़ लिया। इस मामले में मालवीय नगर थाने के सिपाही अमित, मनु और स्पेशल सेल के सिपाही संदीप को गिरफ्तार किया गया।

चोरों से 5 लाख लूट लिए-

अगस्त में सिविल लाइन थाने में तैनात एक हवलदार ने ठक ठक गिरोह के चोरों को पकड़ा था चोरों से बरामद पांच लाख रुपए हवलदार ने खुद हड़प लिए और अपराधियों को छोड़ दिया। हवलदार के मेरठ के घर से रकम बरामद हो गई।

एसीपी, एसएचओ ने शराब तस्कर को छोड़ दिया-

 इस साल अप्रैल में कंझावला पुलिस ने एक शराब तस्कर को पकड़ा था लेकिन पुलिस से सांठगांठ कर वह छूट गया और अपनी गाडी भी छुडवा ली। शराब तस्कर ने अपनी जगह अपने नौकर को गिरफ्तार करवा दिया।  पुलिस ने शराब भी कम बरामद दिखाई। इस मामले में सतर्कता विभाग की जांच के बाद एसीपी, एस एच ओ समेत आठ पुलिस वालों का केवल तबादला किया गया।

शराब तस्कर के साथियों को छोड़ दिया-

इस साल 27 मई को उत्तर जिला के स्पेशल स्टाफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार शर्मा की टीम ने कालका जी मंदिर के पुजारी सत्य नारायण भारद्वाज उर्फ पोनी को शराब तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया। इस मामले में भी पुलिस ने सांठगांठ करके उसके साथियों को छोड़ दिया।

 रिश्वत लेते सिपाही गिरफ्तार-

 14 जुलाई को सीबीआई ने सुभाष प्लेस थाने के सिपाही विक्रम को 35 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। सिपाही विक्रम और हवलदार कपिल ने शिकायतकर्ता से उसके नौकर को छोडऩे की एवज में एक लाख रुपए रिश्वत मांगी थी।

रिश्वत लेते एसएचओ गिरफ्तार-

सीबीआई ने 17 जून को विजय विहार थाने के एस एच ओ सुरेंद्र सिंह चहल,सिपाही बद्री प्रसाद और जितेंद्र को दो लाख रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। रिठाला निवासी सुनील वत्स से प्लाट पर चारदीवारी करने की एवज में पांच लाख रुपए रिश्वत की मांग की गई थी।

महिला सब-इंस्पेक्टर की हत्या करआत्महत्या कर ली।-

8 फरवरी – रोहिणी मेट्रो स्टेशन के पास सब इंस्पेक्टर दीपांशु ने सब इंस्पेक्टर प्रीति की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद दीपांशु ने हरियाणा जाकर गोली मारकर आत्महत्या कर ली।

आला अफसर ध्यान नहीं देते- आला पुलिस अफसर  पुलिस के खिलाफ मिलने वाली शिकायतों को अगर गंभीरता से सुने और उस पर तुरंत कार्रवाई करें तो पुलिसकर्मियों द्वारा किए जाने वाले अपराधों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।

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