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क्या होते है कनागत,श्राद्ध और पित्रपक्ष

क्या होते है कनागत,श्राद्ध और पित्रपक्ष
– पंडित योगेश भारद्वाज
जब सूर्य कन्या राशि मे होता है, तो सूर्य को कन्यागत कहते है, इसका अपभ्रंश कनागत (श्राद्ध पक्ष होता है).ओर सबसे ज्यादा बीमारियां भी इसी समय फैलती है, क्योकि आत्मा का वास काल पुरुष कुंडली के छठे भाव अर्थात रोग बीमारी की राशि और भाव मे होता है।। यह समय डॉक्टर्स की कमाई का होता है।। इस बार  सूर्य के गोचर त्रिकोण में  शनि एवं राहु होंगे .( क्योकि यह मृत्यु योग है) अतः भयंकर बीमारियां फेल सकती है। कोरोना भयंकर रूप ले सकता है। अतः अभी से सतर्कता बरतें, किसी भी प्रकार की बीमारी का रिस्क न ले। राहु पूर्वज होते है, डेड बॉडी होती है । मृत व्यक्ति होते है।और राहु छटे घर का स्वामी होता है। अर्थात राहु + सूर्य = मृत आत्मा।  इसिलए श्राद्ध पक्ष में पूर्वजो को श्राद्ध किया जाता है।
पित्रपक्ष पर शाहजहां की ये पंक्ति याद आ गई
ऐ पिसर तू अजब मुसलमानी, पिदरे जिन्दा  आव तरसानी। आफरी हिन्दुआनि वहरा याब। मुरदगावा हिन्द दायम आब। (ऐ बेटे तू अजब मुसलमान है कि जीवित पिता को पानी के बिना तरसा रहा है ! धन्य है वे हिन्दू जो अपने दिवंगतों (बाप-दादों) को भी जलांजलियां देते रहते हैं !) 
पितृपक्ष यानी पितरों की पूजा का पक्ष। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के समान ही पितरों को महत्व दिया गया है। इतना ही नहीं पितरों को इतना आदर दिया गया है कि इनके नाम से पूरा एक पक्ष यानी 15 दिन पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक समर्पित है। जबकि नवरात्र जैसा बड़ा त्योहर भी महज 10 दिनों का होता है। इस बात से ही पितृपक्ष का महत्व समझा जा सकता है। पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों का ध्यान पूजन करते हैं जिनकी वजह से हम इस दुनिया में हैं। गरुड़ पुराण और कठोपनिषद् में कहा गया है कि पितृगण देवताओं के समान ही वरदान और शाप देने की क्षमता रखते हैं इनकी प्रसन्नता से परिवार की उन्नति होती और नाराजगी से परिवार निरंतर परेशानियों में रहता है।
इस बार  शुक्रवार 4 सितंबर को मध्याह्न के बाद तक द्वितीया तिथि रहेगी जिससे शुक्रवार को भी द्वितीया तिथि ही मान्य रहेगी इसलिए तृतीया तिथि का श्राद्ध 5 सितंबर को होगा। 4 सितंबर को भी द्वितीया तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है।

श्राद्ध पक्ष की प्रमुख तिथियां 2020

प्रतिपदा का श्राद्ध 2 सितंबर बुधवार
द्वितीया का श्राद्ध 3 सितंबर गुरुवार
तृतीया का श्राद्ध 5 सितंबर शनिवार
चतुर्थी का श्राद्ध 6 सितंबर रविवार
पंचमी का श्राद्ध 7 सितंबर सोमवार
षष्ठी का श्राद्ध 8 सितंबर मंगलवार
सप्तमी का श्राद्ध 9 सितंबर बुधवार
अष्टमी का श्राद्ध 10 सितंबर गुरुवार
नवमी का श्राद्ध 11 सितंबर शुक्रवार (इस दिन परिवार की परलोकगत महिलाओं के नाम से श्राद्ध किया जाता है।)
दशमी का श्राद्ध 12 सितंबर शनिवार
एकदशी का श्राद्ध 13 सितंबर रविवार (इंदिरा एकादशी, इस दिन एकदशी का व्रत करके पितरों को पुण्यदान देने से यमलोक से मुक्ति मिल जाती है।)
द्वादशी का श्राद्ध 14 सितंबर सोमवार (इस दिन संन्यासियों का श्राद्ध भी किया जाता है)
त्रयोदशी का श्राद्ध 15 सितंबर मंगलवार
चतुर्दशी का श्राद्ध 16 सितंबर बुधवार ( इस दिन दुर्घटना, विष, शस्त्र एवं किसी भी तरह से अप्राकृतिक मृत्यु को प्राप्त होने वाले का श्राद्ध करने का विधान है)
अमावस्या का श्राद्ध 17 सितंबर गुरुवार ( इसे सर्वपितृ श्राद्ध भी कहा जाता है। इस दिन अमावस्या तिथि में मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों के अलावा जिनकी मृत्यु की तिथि का पता नहीं हो, जिनका श्राद्ध पक्ष में मृत्यु तिथि पर श्राद्ध नहीं हुआ हो उनका भी श्राद्ध कर्म किया जा सकता है।)
नोट : शास्त्रों में बताया गया है कि चतुर्दशी तिथि को केवल अपमृत्यु यानी अप्राकृतिक रूप से मृत्यु को प्राप्त लोगों का ही श्राद्ध करने का विधान है।

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