राममंदिर पर कुछ लोग फैला रहे है नफरत यह कोर्ट कि अवमानना है, मुक़दमा दर्ज किया जाए : आसिफ
नई दिल्ली : ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस एम आसिफ ने कहा है। कि देश में सुप्रीम कॉर्ट के फैसले के बाद भी कुछ लोग नफरत फैलाने का काम कर रहे है। ऐसे लोगो पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए।जो देश के भाईचारे को नजर लगाना चाहते हैं। आसिफ ने कहा कि जब सदियों के बाद खुद सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण की अनुमति दे दी है। तो फिर कुछ लोग अपनी तुच्छ राजनीति के लिए देश के अमन शांति को नुकसान पहुंचाना चाहते है। उन्होंने कहा कि अफसोस तो इस बात का है कि खुद जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों जो कि देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में बैठे हो और वो ऐसी घटिया बात करे बहुत ही चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि सांसद ओवेसी और संभल के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क को क्या यह पता नहीं कि देश की सर्वोच्च न्यायालय आदेश को ना मानना क्या होता।उसके बाद भी ये लोग देश में नफरत फैलाने का काम कर रहे है। ऐसे लोगो पर सरकार और कोर्ट को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। गौरतलब है कि असदउद्दीन ओवैसी ने कहा है कि राम मंदिर की आधारशिला रखकर प्रधानमंमत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपनी ही शपथ का उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा, “आज लोकतंत्र की हार और हिंदुत्व की जीत का दिन है.प्रधानमंत्री ने कहा कि वो आज भावुक हैं. प्रधानमंत्री जी, आज मैं भी भावुक हूं क्योंकि मैं नागरिकों की बराबरी और सबके साथ जीने में यक़ीन करता हूं. मैं भावुक हूं क्योंकि 450 वर्षों तक वहां एक मस्जिद थी।
ओवैसी ने ट्वीट कर कहा- बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी इंशाअल्लाह. उन्होंने अपने ट्वीट में #BabriZindaHai का भी इस्तेमाल किया.
वहीं एक दिन पहले ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि बाबरी मस्जिद हमेशा एक मस्जिद रहेगी. इस बयान को ट्वीट करते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लिखा है- हागिया सोफ़िया हमारे लिए बड़ा उदाहरण है. अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक तरीक़े से ज़मीन पर अधिकार करना और बहुसंख्यक के तुष्टिकरण वाले फ़ैसले से इसका दर्जा बदला नहीं जा सकता. दिल तोड़ने की ज़रूरत नहीं. स्थितियाँ हमेशा के लिए एक जैसी नहीं रहती हैं।हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से बाबरी मस्जिद की तुलना हागिया सोफ़िया से कि गई थी। आईएमएफ चीफ एस एम आसिफ ने भी कहा है कि ऐसे बयान देश में नफरत फैलाते है। इन लोगो को कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए।
लोग बोर्ड के बयान को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना भी बता रहे हैं।