मनोज सिन्हा के सामने जम्मू कश्मीर की चुनौती
नई दिल्ली (योगेश भारद्वाज) मनोज सिन्हा जम्मू कश्मीर के नए उपराज्यपाल बन गए है। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री मनोज सिन्हा के पास एक लंबा राजनैतिक अनुभव है।लेकिन जम्मू कश्मीर का एलजी बनने के बाद उनके सामने जम्मू कश्मीर की एक बहुत बड़ी चुनौती है।या यूं कहे कि कठिन डगर हे कश्मीर की तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सिन्हा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जम्मू कश्मीर में नई सरकार के गठन को लेकर बहुत ही बड़ी जिम्मेदारी है।तो नहीं दूसरी और राज्य के युवाओं को मुख्यधारा में लाने की है।साथ ही यहां बर्बाद ही चुके पर्यटन उद्योग को फिर से पटरी पर लाने की है। अधिकारियों की मानें तो पर्यटन कि कमर सीधी होने में सालों लग जाएंगे, क्योंकि पत्थरबाजों ने टूरिस्टों के दिलोदिमाग में इतना भय भर दिया है कि वे कई साल तक शायद ही कश्मीर का रुख कर पाएंगे। यह सच है कि कश्मीर हिंसा ने पर्यटन उद्योग को पटरी से उखाड़कर रख दिया है। रोजाना 40 करोड़ की चपत लग रही है यानी 75 दिन में क्षेत्र को 3,000 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। सिर्फ यही नहीं, पर्यटन विकास की लगभग 400 करोड़ की परियोजनाएं भी लटक चुकी हैं। इनको पूरा करने की चुनौती सिन्हा के सामने है।
जम्मू-कश्मीर पर्यटन विकास निगम (जेकेटीडीसी) के अनुसार गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग, यूसमर्ग तथा अन्य स्थानों पर निगम की संपत्तियों में सामान्य परिस्थितियों में इन दिनों ऑक्यूपेंसी 90 से 100 प्रतिशत रहती है, लेकिन इस साल यह मात्र 2 से 4 प्रतिशत है। बता दें कि बीजेपी को यूपी के 2017 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत मिलने पर मनोज सिन्हा मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे थे। इस दौरान वो दिल्ली से वाराणसी पूजा करने गए थे और इस उम्मीद में थे कि सीएम पद की शपथ लेंगे। लेकिन पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को आगे किया। उसके बाद प्रधानमंत्री के भरोसेमंद होने के चलते उन्हें अब यह बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।