भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान अयोध्या आज हुई स्वर्ग से सुंदर
नई दिल्ली (योगेश भारद्वाज) आधुनिक काल में अपनी पहचान के लिए सदियों से संघर्ष कर रही आज अवधपुरी को अपना बेभव फिर मिलने जा रहा है। क्योंकि यहां अब भव्य श्रीराम का मंदिर फि (ram mandir) बनने जा रहा है। मुस्लिम आक्रांताओं ने इसको मुगल काल में जीर्ण शीर्ण करके यहां बाबरी मस्जिद बना दी थी। लगभग 500 साल की लंबी कानूनी कार्रवाई और सैकड़ों राम भक्तो की कुर्बानी के बाद आज अयोध्या में पुनः प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर निर्माण होने जा रहा है। 5 अगस्त को अयोध्या में प्रधानमंत्री मोदी मंदिर की आधाशिला रखेंगे। जिसको लेकर अवधपुरी के लोगो ने आज से ही उत्सव मानना शुरू कर दिया है। आज अयोध्या स्वर्ग से भी सुंदर नजर आ रही है। सरयू नदी के तट पर बसी अयोध्या नगरी रामायण के अनुसार विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापित की गई थी। स्कंद पुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है। यह हिन्दुओं की प्राचीन सप्त पुरियों में से एक है।
अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या शब्द ‘अ’ कार ब्रह्मा, ‘य’ कार विष्णु है तथा ‘ध’ कार रुद्र का स्वरूप है।
कैसी हुई इसकी स्थापना?
पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा से जब मनु ने अपने लिए एक नगर के निर्माण की बात कही तो वे उन्हें विष्णुजी। (Lord Vishnu) के पास ले गए। विष्णुजी ने उन्हें साकेतधाम में एक उपयुक्त स्थान बताया। विष्णुजी ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रह्मा तथा मनु के साथ देवशिल्पी विश्वकर्मा को भेज दिया। इसके अलावा अपने रामावतार के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने के लिए महर्षि वशिष्ठ को भी उनके साथ भेजा। मान्यता है कि वशिष्ठ द्वारा सरयू नदी के तट पर लीलाभूमि का चयन किया गया, जहां विश्वकर्मा ने नगर का निर्माण किया। स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है।