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वरिष्ठ पत्रकार के पी मलिक को मुंशी प्रेमचंद पुरस्कार

वरिष्ठ पत्रकार के पी मलिक को मुंशी प्रेमचंद पुरस्कार
नई दिल्ली। किसानों की दयनीय हालत पर लिखने वाले मुंशी प्रेमचंद का नाम कौन नहीं जानता। उनके बाद गाँवों और किसानों की ज़मीनी हक़ीक़त पर उतने क़रीब से लिखने वाला कोई लेखक सामने नहीं आया। लेकिन कुछ लेखक ऐसे हैं, जिन्हें भलिभाँति मालूम है कि ज़मीन से जुड़े लोगों, ख़ासकर किसानों-कामगारों की तरक़्क़ी के बिना देश की तरक़्क़ी सम्भव नहीं है। ऐसे ही हैं वरिष्ठ पत्रकार के.पी. मलिक, जो निःस्वार्थ भाव से लगातार किसानों, कमेरों, श्रमिकों और अन्य पीड़ितों की आवाज़ को लगातार उठाते रहे हैं। देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होते उनके लेख काफ़ी प्रासंगिक हैं। ज़मीन से जुड़े के.पी. मलिक खेतों और किसानों से बेहद लगाव रखते हैं। आजकल दैनिक भास्कर के राजनीतिक संपादक के.पी. मलिक के किसानों-श्रमिकों के हितों के इसी काम और लगाव को देखते हुए आगामी 8 नवम्बर को विश्व उर्दू दिवस के अवसर पर उन्हें मुंशी प्रेमचंद अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। उनको यह सम्मान विश्व उर्दू दिवस-2020 के लिए दिया जायेगा।

पुरस्कारों की घोषणा आयोजन की समिति के दिल्ली स्थित कार्यालय में आयोजित बैठक में की गई, जिसकी अध्यक्षता प्रोफसर अब्दुल हक़ ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 1997 से यूनाइटेड मुस्लिम ऑफ इंडिया और उर्दू डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन के संयुक्त तत्वावधान में उर्दू दिवस मनाया जा रहा है। बैठक में परंपरा के अनुसार, उर्दू भाषा, साहित्य और पत्रकारिता के अलावा राष्ट्र और देश हित में उल्लेखनीय काम करने वाले कुछ नामों का चयन किया गया। अन्य पुरस्कारों के अलावा पत्रकारिता के लिए मुंशी प्रेमचंद अवॉर्ड के लिए दैनिक भास्कर के के. पी. मलिक के नाम पर एक स्वर में निर्णय लिया गया है।

बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिले शामली से ताल्लुक रखने वाले के.पी. मलिक पिछले लगभग 28 साल से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। दूरदर्शन से लेकर बीबीसी, नेटवर्क18, ज़ी न्यूज़, सहारा समय, हिंदुस्तान टाइम्स और उसके बाद दैनिक भास्कर में राजनीतिक संपादक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में उनकी अच्छी पैठ है। लगभग दो दशक से अधिक राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले तमाम राजनीतिक हालातों पर पैनी नजर साथ देश की संसद को कवर करते रहे हैं। 2001 के ऐतिहासिक संसद हमले को कवर करने वाले एवं उस घटना के साक्षात गवाह हैं।

विषम परिस्थितियों में हमेशा पत्रकारों के हितों की लड़ाई लड़ने में आगे रहने वाले हैं। फिलहाल पत्रकारों की प्रतिष्ठित संस्था नेशनल यूनियन जर्नलिस्टस (इंडिया) से संबद्ध ‘दिल्ली पत्रकार संघ’ के महासचिव, ‘प्रेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ के कार्यकारी सदस्य एवं ‘एंटी करोना टास्क फोर्स’ के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। कोरोना काल में हुई तालाबंदी में इन्होंने तमाम पत्रकारों की समस्याओं को केंद्र सरकार एवं दिल्ली सरकार के सामने बेहद प्रभावी तरीके से उठाने का सराहनीय कार्य किया है। इसके अलावा ये लगातार देश के किसानों और सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से लिखते रहते हैं।

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