राजस्थान विधानसभा के सत्र की अनुमति दे राज्यपाल : आसिफ
नई दिल्ली : ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस एम आसिफ ने कहा है। की राजस्थान में जो भी हॉर्स ट्रेडिंग का खेल चल रहा है।वो लोकतंत्र के लिए घातक है। इसलिए राज्यपाल को विधानसभा के सत्र के लिए देरी नहीं करनी चाहिए।क्योंकि लोकतंत्र के लिए और संविधान के लिए ऐसे संकट में फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। आसिफ ने कहा है।की फ्लोर टेस्ट के लिए अनुमति ना देना राज्यपाल पर केंद्र का दबाव माना जा रहा है।इसलिए राज्यपाल को संविधान की रक्षा के लिए राजस्थान विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की अनुमति देनी चाहिए। सियासी संकट के बीच सरकार खुद फ्लोर टेस्ट के जरिए अपना बहुमत सिद्ध करना चाह रही है, लेकिन यदि बहुमत का परीक्षण होता है और विधानसभा का सत्र शुरू होता है तो यहां सचिन पायलट खेमे को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में यदि सदन चला तो पायलट खेमे पर यह असर पड़ेगा:
1. विधानसभा सत्र से पहले होने वाली विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए और विधानसभा में पार्टी को समर्थन देने के लिए जारी व्हिप को सचिन पायलट खेमे के कांग्रेसी विधायकों को मानना पड़ेगा।
2. बैठक के लिए पहुंचे और सदन में कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग की तो इन विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी।
3. लेकिन, यदि व्हिप का उल्लंघन कर पायलट खेमे से जो भी नहीं पहुंचेगा। दल-बदल कानून के तहत उसकी विधानसभा से सदस्यता चली जाएगी। ऐसे में यदि सदस्यता जाती है तो पायलट खेमे के विधायकों को उप चुनाव का सामना करना पड़ सकता है। गौरतलब है कि गहलोत के साथ कांग्रेस के 88, बीटीपी के 2, आरएलडी के 1 और 10 निर्दलीय विधायक हैं। इसके साथ ही माकपा के बलवान पूनिया ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही है। हालांकि, माकपा के दूसरे विधायक गिरधारीलाल भी गहलोत खेमे का समर्थन कर सकते है। ऐसे में कांग्रेस का आंकड़ा 102 या 103 हो सकता है। जबकि पायलट गुट के साथ कांग्रेस के 19 और निर्दलीय तीन विधायक हो सकते हैं। वही, भारतीय जनता पार्टी के पास 72 और रालोपा के 3 विधायकों का समर्थन यानी कुल 75 विधायक हैं। ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस एम आसिफ ने कहा है। की अब राज्यपाल को विधानसभा सत्र बुलाने में देरी नहीं करनी चाहिए।